रांची : गणगौर व्रत, जिसे सौभाग्य तृतीया के नाम से भी जाना जाता है, हर साल चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अपने सुख-सौभाग्य के लिए करती हैं। पंडित मनोज पांडेय के अनुसार, इस साल गणगौर तीज का व्रत 1 अप्रैल को रखा जाएगा। तृतीया का शुभारंभ 31 मार्च शाम 4:42 बजे से होगा।
गणगौर पूजा का धार्मिक महत्व
गणगौर तीज का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को वरदान दिया था, और माता पार्वती ने महिलाओं को सौभाग्यवती बनने का आशीर्वाद प्रदान किया था। यही कारण है कि इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति के सुख-सौभाग्य के लिए व्रत करती हैं।
गणगौर पूजा की पूजा विधि
गणगौर तीज के दिन महिलाएं सबसे पहले रेणुका (मिट्टी) से गौरी की स्थापना करती हैं। इसके बाद गौरी का विधिपूर्वक पूजन किया जाता है। पूजा के दौरान महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती का आह्वान करती हैं और व्रत के नियमों का पालन करती हैं।
व्रत के दौरान क्या करें?
- गौरी स्थापना: महिलाएं घर में स्वच्छ स्थान पर मिट्टी से गौरी प्रतिमा स्थापित करें।
- पूजन विधि: गौरी के पूजन के लिए विशेष रूप से फूल, अक्षत (चावल), सुपारी और नैवेद्य अर्पित करें।
- व्रत नियम: महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को विशेष पूजा के बाद ही व्रत तोड़ें।
गणगौर पूजा का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
गणगौर का त्योहार न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी गहरा प्रभाव रखता है। महिलाएं इस दिन अपने परिवार और समाज के साथ मिलकर इस पर्व को मनाती हैं, जिससे समाज में भाईचारा और पारिवारिक संबंध मजबूत होते हैं।
बताया जाता है कि गणगौर व्रत का पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। वे पति की लंबी उम्र और अपने सुख-समृद्धि के लिए आस्था और श्रद्धा के साथ व्रत करती हैं। इस साल भी 1 अप्रैल को यह पर्व बड़ी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाएगा।