जमशेदपुर : झारखंड के जमशेदपुर में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। जो भी इस घटना के बारे में सुन रहा वह अचंभित हो जा रहा है। दरअसल, एक ऑनलाइन गेम ने सातवीं कक्षा के विद्यार्थी की जान ले ली। इससे अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि ऑनलाइन गेम कितना खतरनाक है। ऐसे में बच्चों को कम से कम मोबाइल देना चाहिए, अगर मोबाइल देते भी हैं तो उसपर यह ध्यान रखना चाहिए कि आपका बच्चा मोबाइल पर क्या देख रहा है।
मोबाइल से बच्चों को हो रहा नुकसान
आज के समय में मोबाइल बच्चों के लिए काफी खतरनाक साबित हो रहा है। इससे आंखों की रोशनी तो कम हो ही रहीं है, साथ में और भी कई गंभीर समस्या उत्पन्न होने लगी है, जिसपर गंभीरता से ध्यान देने की जरूर है।
बेल्डीह चर्च में था अध्ययनरत्
मृतक का नाम शौर्य प्रताप सिंह है। वह काशीडीह में रहता है। जमशेदपुर के स्कूल बेल्डीह चर्च में सातवीं कक्षा का छात्र था। शौर्य प्रताप सिंह एक ऑनलाइन गेम के चक्कर में बुरी तरह से फंस गया है। घर में किसी को पता भी नहीं था कि शौर्य गेम खेलता हैं।
मां कर रहा थी हरतालिकातीज की पूजा
मृतक की मां तीज व्रत की थी। इसी बीच वह नारियल पानी लाने के लिए बेटे के कमरे में गई तो दरवाजा बंद था। उन्होंने दरवाजा खटखटाया। जब अंदर कमरे से कोई आवाज नहीं आई तो उसकी मां घबरा कर चिल्लाने लगी। इसके बाद दरवाजा तोड़ा गया तो देखा शौर्य प्रताप सिंह फांसी पर लटका हुआ था। उसे आनन-फानन में टाटा मुख्य अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। शौर्य मौत को गले लगा चुका था।
घटना से 10 घंटे पहले छात्र ने इंस्टाग्राम पर लिखा है
घटना से 10 घंटे पहले शौर्य प्रताप सिंह ने इंस्टाग्राम पर ऑनलाइन गेम के बारे में चार स्टेप पोस्ट किए थे। चौथे स्टेप के बाद जब उसके हाथ में कटा हुआ खून किसी दूसरे सदस्य को दिखाई दिया तो उस सदस्य ने खून दिखने की पुष्टि की। उसके बाद छात्र ने फांसी लगा ली।
अप्रैल से खेल रहा था यह गेम
बताया जा रहा है कि शौर्य प्रताप सिंह अप्रैल माह से अपने मोबाइल पर ‘अटैक ऑन टाइटन’ गेम खेल रहा था। तब उसने सोचा भी नहीं होगा कि एक दिन इस गेम को खेलते-खेलते वह अपना जीवन खो देगा। ऑनलाइन गेम काफी खतरनाक माने जाते रहे है।
क्या है ‘अटैक ऑन टाइटन’ गेम
अटैक ऑन टाइटन गेम एक जापानी श्रृंखला है। इस गेम में एक लड़ाई और दूसरी लड़ाई के बीच खिलाड़ी अटैक ऑन टाइटन के शहर पहुंचते हैं। इस एनिमे के अन्य चरित्रों से बात कर सकते हैं। जिसमें तीव्र और हिंसक विषय शामिल हैं। यह हिंसा के ग्राफिक चित्रण के लिए जाना जाता है, जिसमें मनुष्यों को निगलने वाले विशाल मानव जैसे प्राणियों का चित्रण भी शामिल है। इस गेम में विशेष आक्रमण वाले हुनर अत्यंत विनाशकारी होते हैं।
अभिभावकों की भूमिका महत्वपूर्ण
झारखंड के जाने-माने मनोचिकित्सक डॉ. दीपक गिरी कहते हैं कि आज के समय में अभिभावकों की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। माता-पिता अपनी व्यस्तता के कारण बच्चे उनको परेशान न करे इसलिए मोबाइल सहित अन्य सामग्री दे देते हैं ताकि बच्चा उनको परेशान न करें। लेकिन इससे होने वाले दुष्परिणाम किसी से छिपे नहीं है। ऐसे में अब भी संभलने की जरूरत है। इसके प्रति सोचने की जरूरत है। डॉ. दीपक गिरी कहते हैं कि छोटे बच्चे ऑनलाइन गेम के चक्कर में फंसते जा रहे हैं। इस तरह के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ऑनलाइन गेम के चक्कर में बच्चों की पढ़ाई से लेकर उनकी पूरी दिनचर्चा में बदलाव देखा जा रहा है। ऐसे में यह एक गंभीर समस्या बन गई है। इसके प्रति सभी को जागरूक होने की जरूरत है। साथ ही बदलाव लाने की आवश्यकता है।