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Godda MP Nishikant Dubey angry at Rahul Gandhi : राहुल गांधी पर भड़के निशिकांत दुबे, “एलचा-बेलचा, चमचा…” लिख डाला, जानें क्या है मामला

by Anand Mishra
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रांची : देश के नए मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) के रूप में ज्ञानेश कुमार का चयन किया गया है। वे चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित नए कानून के तहत नियुक्त होने वाले पहले मुख्य चुनाव आयुक्त हैं। इस पर कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

राहुल गांधी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर आरोप लगाया कि नए चुनाव आयुक्त के चयन के दौरान सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया गया है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्त के चयन की प्रक्रिया को स्वतंत्र रखना जरूरी है, ताकि चुनाव आयोग पर किसी तरह का राजनीतिक दबाव न हो।

निशिकांत दुबे ने किया पलटवार

इस पर बीजेपी सांसद डॉ. निशिकांत दुबे का भी बयान सामने आया। झारखंड के गोड्डा लोकसभा क्षेत्र से सांसद निशिकांत दुबे ने राहुल गांधी के ट्वीट का जवाब देते हुए लिखा, “सौ चूहे खाकर बिल्ली चली हज को? ऐलचा, बेलचा, चमचा को ज़िंदगी भर चुनाव आयुक्त बनाने वाली कांग्रेस अब मर्यादा की बात करती है। हे भगवान, घोर कलयुग।” यह टिप्पणी उन्होंने राहुल गांधी की आलोचना करते हुए की, जिसमें कांग्रेस पार्टी की पिछली सरकारों के दौरान चुनाव आयुक्तों की नियुक्तियों पर सवाल उठाए गए थे।

राहुल गांधी ने लगाया सुप्रीम कोर्ट के आदेश के उल्लंघन का आरोप

राहुल गांधी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी पोस्ट में कहा, “प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के हस्तक्षेप से चुनाव आयोग का स्वतंत्र होना खतरे में है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करके और भारत के चीफ जस्टिस को समिति से हटा कर मोदी सरकार ने हमारी चुनावी प्रक्रिया की अखंडता पर सवाल उठाए हैं।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि नए सीईसी का चयन आधी रात को बिना किसी पारदर्शिता के किया गया, जो प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के लिए अपमानजनक और असभ्य था, खासकर जब सुप्रीम कोर्ट में समिति की संरचना को चुनौती दी जा रही थी।

चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर सवाल

राहुल गांधी ने आगे कहा, “मेरे लिए यह कर्तव्य है कि मैं बाबासाहेब अंबेडकर और हमारे संस्थापक नेताओं के आदर्शों का पालन करते हुए सरकार को जिम्मेदार ठहराऊं। चुनाव आयुक्त के चयन को लेकर यह प्रक्रिया लोकतांत्रिक मूल्यों की अवहेलना है और देश की चुनावी प्रक्रिया की स्वतंत्रता को खतरे में डालती है।”

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