गोरखपुर : शहर के एक रेलकर्मी के साथ बड़ा बैंकिंग फर्जीवाड़ा सामने आया है। गणेशपुरम (राप्तीनगर फेज-1) निवासी गोरखपुर यांत्रिक कारखाना में कार्यरत संजय कुमार श्रीवास्तव के नाम पर बिना खाता खोले ही ₹1.36 लाख का लोन निकाल लिया गया। पीड़ित की शिकायत पर पहले पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की, लेकिन अब कोर्ट के आदेश पर एचडीएफसी और यूनियन बैंक से जुड़े छह लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी, और अन्य गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
पीड़ित संजय कुमार को 8 सितंबर 2013 को एचडीएफसी बैंक से ₹1.36 लाख का लोन रिकवरी नोटिस मिला। जबकि उनका न तो बैंक में खाता था और न ही उन्होंने किसी भी प्रकार का ऋण लिया था। जब उन्होंने नोटिस का जवाब दिया, तो भी बैंक की ओर से बार-बार नोटिस आते रहे और रिकवरी एजेंट उनके घर तक पहुंच गए।
बाद में जांच में सामने आया कि मेडिकल कॉलेज रोड स्थित एचडीएफसी शाखा से लोन पास किया गया था और राशि को चेक के जरिए गीता वाटिका स्थित यूनियन बैंक की शाखा में ट्रांसफर कर निकाला गया।
आधार और दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल
संजय श्रीवास्तव ने बताया कि फर्जी आधार कार्ड और पैन नंबर का इस्तेमाल कर उनके नाम से लोन लिया गया। जांच में पता चला कि दोनों गारंटर भी फर्जी थे और उनके हस्ताक्षर की जालसाजी भी की गई थी। बैंक द्वारा चार बार पांच लाख रुपये तक का लीगल नोटिस भेजा गया।
कोर्ट पहुंचा पीड़ित
स्थानीय थाने में शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। अंततः पीड़ित ने कोर्ट की शरण ली, जहां से आदेश मिलने के बाद शाहपुर पुलिस ने केस दर्ज किया। राधिका कॉम्प्लेक्स एचडीएफसी शाखा के तत्कालीन प्रबंधक, यूनियन बैंक के प्रबंधक, एक वकील और अन्य को आरोपी बनाया गया है।
थानाध्यक्ष नीरज कुमार राय के अनुसार, “कोर्ट के आदेश पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।”
लीड बैंक मैनेजर मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि “आधार और पैन नंबर किसी अजनबी से साझा न करें। दुकान पर फोटो कॉपी कराते समय सावधानी बरतें ताकि कोई दस्तावेज छूट न जाए। जागरूकता ही इस तरह की जालसाजी से बचने का उपाय है।”
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