गोरखपुर : दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा तथा पत्रकारिता विभाग में ‘ बुधवार को महाकवि सुब्रमण्यम भारती की जयंती पर ‘भारतीय भाषा उत्सव’ का आयोजन हुआ। इसकी अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने भारतीय भाषाओं को भारत की शक्ति बताया। कहा कि भारतीय भाषाएं परंपरा, संस्कृति, अनुभव, ज्ञान व स्मृति की जीवंत धाराएं हैं। इनके मिलने से महान भारत का परिदृश्य उभरता है और वैश्विक मंच पर भारत को एक सशक्त हस्ताक्षर के रूप में स्वीकार किया जाता है।
कुलपति ने कहा कि राष्ट्र के निर्माण में भारत की स्थिति यूरोप से अलग है। यूरोप में एक भाषा सिद्धांत उनके राष्ट्र को जोड़ता है, वहीं भारत की भाषाई विविधता उसे बेजोड़ बनाती है। भाषाओं के उत्सव की दृष्टि से दुनिया का कोई अन्य देश भारत से बेहतर नहीं हो सकता।
बैंक ऑफ नॉलेज’ का सूचक है भारत की भाषाई विविधता
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अंग्रेजी विभाग की प्रोफेसर सुनीता मुर्मू ने कहा कि भारत की भाषाई विविधता उसके ‘बैंक ऑफ नॉलेज’ का सूचक है। प्रत्येक भाषा के प्रति संवेदनशीलता व सम्मान का भाव हमें बेहतर मनुष्य बनाता है। उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर रजीउर रहमान ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदी और उर्दू एक ही मां की बेटियां हैं। इनमें फर्क सिर्फ लिपि और तलफ्फुस का है। संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डॉ. देवेंद्र पाल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वेदों के संदर्भ को उद्घाटित किया।
हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल राय ने ‘भारतीय भाषा उत्सव’ के तहत ‘राष्ट्र निर्माण में भारतीय भाषाओं की भूमिका’ विषय पर अपना सारगर्भित व्याख्यान दिया। हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर कमलेश कुमार गुप्त ने स्वागत वक्तव्य दिया। डॉ. सुनील कुमार ने कार्यक्रम का संचालन किया वहीं डॉ. रितु सागर ने आभार प्रकट किया। इस दौरान विभाग के शिक्षक एवं छात्र मौजूद रहे।
इनपूट एवं फोटो क्रेडिट: अनूप कुमार पटेल