गोरखपुर : बाघिन शक्ति की मौत के बाद 7 मई से बंद पड़ा शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान (चिड़ियाघर) अब 3 जून तक बंद रहेगा। यदि सभी वन्यजीवों की जांच रिपोर्ट लगातार दो बार निगेटिव आती है, तो चिड़ियाघर को 4 जून से दर्शकों के लिए फिर से खोला जाएगा। अन्यथा, लोगों को और इंतजार करना पड़ सकता है।
एहतियातन बंद किया गया चिड़ियाघर
30 मार्च से अब तक काकाटील पक्षी समेत पांच वन्यजीवों की मौत हो चुकी है। बाघिन शक्ति की मौत के बाद जांच में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई थी, जिसके बाद सुरक्षा कारणों से चिड़ियाघर बंद कर दिया गया।
दो बार निगेटिव रिपोर्ट जरूरी
चिड़ियाघर के निदेशक विकास यादव ने बताया कि चिड़ियाघर 28 मई से 3 जून तक पूरी तरह बंद रहेगा। सोमवार को संक्रमित चार वन्यजीवों समेत कुल 35 नमूनों को भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च पशु रोग संस्थान भेजा गया है। रिपोर्ट आने के बाद दोबारा सैंपलिंग कर जांच की जाएगी। दोनों रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही चिड़ियाघर को खोला जाएगा।
23 मई को आई रिपोर्ट में बाघिन मैलानी, दो तेंदुए के शावक, हिमालयन गिद्ध और काकाटील में संक्रमण की पुष्टि हुई। इन सभी को आइसोलेशन में रखकर इलाज किया जा रहा है। इसी दौरान रात में काकाटील पक्षी की मौत हो गई, जिसे चिड़ियाघर प्रशासन ने मीडिया से छिपाने की कोशिश की।
बब्बर शेर पटौदी की भी गई थी जान
बाघ केसरी, भेड़िया भैरवी, बाघिन शक्ति और तेंदुआ मोना की मौत ने पूरे प्रदेश को चिंता में डाल दिया। जांच टीम ने गंभीर स्थिति में बब्बर शेर पटौदी को कानपुर चिड़ियाघर भेजा, लेकिन वहां भी उसकी मौत हो गई।
बाड़ों को किया गया है कवर
बर्ड फ्लू की पुष्टि के बाद से चिड़ियाघर को रोजाना सैनिटाइज किया जा रहा है और सभी बाड़ों को चारों ओर से ढक दिया गया है ताकि संक्रमण और न फैले।
प्रशिक्षु वनकर्मियों को दी गई बर्ड फ्लू से बचाव की ट्रेनिंग
कैंपियरगंज स्थित भारीवैसी जटायु संरक्षण व प्रजनन केंद्र में उत्तर प्रदेश के 84 प्रशिक्षु वनकर्मियों को बर्ड फ्लू से सुरक्षा, गिद्ध संरक्षण और उनके प्राकृतिक महत्व की जानकारी दी गई।
केंद्र प्रभारी डॉ. दुर्गेश नंदन ने बताया कि गिद्ध प्राकृतिक सफाईकर्मी होते हैं, जो जूनेटिक बीमारियों को फैलने से रोकते हैं। उन्होंने बताया कि यूपी में राज गिद्ध, हिमालयन गिद्ध, लांग बिल्डिंग गिद्ध, सेंनेरियस गिद्ध, वाइट रम्पड गिद्ध, इजिप्शियन गिद्ध और सिलिंडरबिल्ड गिद्ध पाई जाती हैं। वनकर्मियों को बीमार पक्षियों की पहचान, सुरक्षित हैंडलिंग और प्राकृतिक आवास की रक्षा के उपाय सिखाए गए।
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