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चीन ने क्या भारत की जमीन पर कब्जा किया है? जयशंकर ने दिया जवाब…..

by Rakesh Pandey
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नयी दिल्ली:  मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने के मौके पर विदेश मंत्रालय ने एक विशेष प्रेस कॉन्फ़्रेंस का आयोजन किया था, जहां जयशंकर ने कई सवालों के उत्तर दिए. प्रेस कॉन्फेंस के दौरान जयशंकर से सवाल किया गया कि गलवान घाटी में हुई घटना के बाद क्या भारत की जमीन पर चीन ने कब्जा किया है.इसके जवाब में एस जयशंकर ने कहा कि मुल्कों की फौज बिल्कुल एलएसी (लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल) पर तैनात नहीं की जाती, बल्कि वो अपने कैंप पर तैनात किए जाते हैं, जहां से वो आगे बढ़ते हैं. 2020 के बाद जो बदलाव आया है वो ये है कि तनाव के कारण दोनों पक्षों से फॉर्वर्ड डिप्लॉयमेन्ट किया है, यानी अपने सैनिकों को सीमा के करीब तैनात किया है. उन्होंने कहा, ये मुद्दा हमें सुलझाना है. ये मुद्दा जमीन का नहीं बल्कि फॉर्वर्ड डिप्लॉयमेन्ट का है. दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने हैं, ऐसे में तनाव हिंसा का रूप ले सकता है, जैसा गलवान में हुआ.
अरुणाचल प्रदेश में मॉडल विलेज की जमीन हमारी, पर चीन का कब्जा :
उन्होंने कहा राहुल गांधी ने कहा की पैगॉन्ग त्सो में पुल बना है, वो ऐसी जगह बना है जिस पर चीन ने 1962 में कब्जा किया था. कुछ लोगों ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में मॉडल विलेज बना है, लेकिन संसद के रिकॉर्ड देखें तो आपको पता चलेगा कि ये उस जगह बना है जिस पर चीन ने 1959 में कब्जा किया था. चीन 1950 के दशक से भारत की जमीन पर कब्जा कर चुका है. जयशंकर ने कहा, मूल मुद्दा है, ये एलएसी पर हमारी सेना बेस से निकल कर पट्रोलिंग करती है और फिर बेस पर लौट आती है. 2020 के बाद से ऐसा नहीं हुआ क्योंकि चीन ने समझौतों का उल्ल्घंन कर सीमा के करीब बड़ी संख्या में सैनिक तैनात किये. इस कारण हमें भी फॉर्वर्ड डिप्लॉयमेन्ट करना पड़ा जिससे तनाव पैदा हुआ.

सीमा पर शांति जरूरी, पर चीन ऐसा नहीं कर रहा :
जयशंकर ने कहा कि बीते नौ सालों में दुनिया के चीन के अलावा, अधिकतर ऐसे देश जो ताक़त का केंद्र बने हुए हैं, उसके साथ भारत के रिश्ते बेहतर हुए हैं. अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, यूरोपियन यूनियन, जर्मनी, जापान, खाड़ी देश, आसियान के देशों के साथ कूटनीतिक रिश्ते सुधारने की कोशिश की गयी है. खुद प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में विदेश नीति पर अमल किया गया है. उन्होंने कहा, लेकिन चीन के साथ ऐसा नहीं हो पाया है क्योंकि किसी कारण से 2020 में चीन ने जानबूझकर दोनों मुल्कों के बीच हुए समझौतों का उल्लंघन करते हुए अपनी सेना को सीमा के नजदीकी इलाको में तैनात करने का फैसला किया और अपनी ताकत का प्रदर्शन किया. चीन को ये स्पष्ट कर दिया गया है कि जब तक सीमा पर शांति और सामान्य स्थिति बहाल नहीं होगी, दोनों के रिश्ते आगे नहीं बढ़ पायेंगे. यही वजह है कि दोनों के रिश्ते आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं.
समझौतों का उल्लंघन होने पर हम रिश्तों को आगे नहीं बढ़ा सकते
उन्होंने कहा कि 2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद सरकार ने नेबरहुड पॉलिसी के तहत पड़ोसियों के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिश की, लेकिन चीन के मामले में ऐसा नहीं हो सका.उन्होंने कहा कि भारत का विकास भी नेबरहुड में हुआ है तो यहीं उसे सबसे अधिक चुनौती भी मिली है. जयशंकर ने कहा,हमारे रिश्ते नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका, मालदीव, यहां तक कि म्यांमार तक हमारे संबंध मजबूत हुए हैं. यहां पहली बार एक रीजनल इकोनॉमी बन सकी है.लेकिन पाकिस्तान और चीन के साथ चुनौतियां हैं. नेबरहुड पॉलिसी के कारण हम ये नहीं कर सकते कि आतंकवाद को बर्दाश्त करें. रही चीन की बात तो हमारी कोशिश थी कि उनके साथ हमारे रिश्ते अच्छे हों लेकिन ऐसा तभी हो सकता है, जब सीमावर्ती इलाको में शांति हो. लेकिन समझौतों का उल्लंघन होने पर हम रिश्तों को आगे बढ़ा नहीं सकते. गलवान से पहले भी हम उनसे बातचीत कर रहे थे. हमने चीन को आगाह किया था कि उनके सैनिक हमें सीमा के क़रीब दिख रहे हैं जो समझौतों का उल्लंघन है. मुझे नहीं लगता कि सीमा पर जारी तनाव चीन के हित में हैं लेकिन हमें सैनिकों को पीछे करने का कोई रास्ता तलाशना पड़ेगा क्योंकि इसका असर आपसी रिश्तों पर पड़ रहा है. ये उम्मीद करना कि सीमा में तनाव के बाद भी रिश्ते सामान्य रहेंगे तो ये सही नहीं है.

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