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HEALTH MINISTER RIMS NEWS: स्वास्थ्य मंत्री कर रहे थे ओपीडी में मरीजों का इलाज, ट्रॉली के लिए भटक रहे थे परिजन

by Vivek Sharma
रिम्स न्यूज
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RANCHI: स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी मंगलवार को राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स पहुंचे। वहां उन्होंने हॉस्पिटल के बाहर मरीजों का हालचाल लिया। इसके बाद वह सीधे मेडिसिन ओपीडी में मरीजों को देखने लगे। इधर वह ओपीडी में मरीजों को देख रहे थे। वहीं हॉस्पिटल में मरीज ट्रॉली और व्हीलचेयर के लिए भटक रहे थे। परिजनों ने इसकी शिकायत भी स्वास्थ्य मंत्री से की। लेकिन डायरेक्टर ने गोलमोल जवाब देकर मामले को वहीं दबा दिया। जबकि परिसर में ट्रॉली पर ऑक्सीजन सिलेंडर ढोए जा रहे थे। स्वास्थ्य मंत्री ने इसपर नाराजगी जताई और डायरेक्टर को इसे देखने का निर्देश दिया।

व्यवस्था दुरुस्त करने में जुटे अधिकारी

इसके बाद मंत्री ने सैंपल कलेक्शन सेंटर का भी जायजा लिया। हालांकि मंत्री के आने की सूचना पहले ही रिम्स के अधिकारियों व डॉक्टर को मिल गई थी। ऐसे में उनके आने से पहले ही अस्पताल की व्यवस्था दुरुस्त कर दी गई। जगह जगह पर डस्टबिन लगा दिए गए। विभागों में अनुपस्थित कर्मचारियों को भी मंत्री के आने की सूचना दे दी गई। सूचना मिलते ही सभी भागते हुए रिम्स पहुंचे। कुछ अधिकारी ओपीडी की व्यवस्था दुरुस्त करने में जुटे रहे।

सभी जिलों में ओपीडी में बैठेंगे मंत्री

निरीक्षण के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि ओपीडी स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ है। जब पहली सीढ़ी मजबूत होगी, तभी पूरी स्वास्थ्य सेवा मजबूत होगी। इसलिए मैं खुद जमीन पर उतर रहा हूं। उन्होंने कहा कि अब राज्य के सभी जिलों में वे क्रमवार अस्पतालों की ओपीडी में बैठेंगे और सीधे मरीजों से संवाद कर उनकी समस्याएं समझेंगे। इसके लिए जल्द ही एक नया रोस्टर जारी किया जाएगा।

व्यवस्था दुरुस्त करने का निर्देश

ओपीडी के बाद मंत्री ने अस्पताल के विभिन्न विभागों का निरीक्षण किया। उन्होंने दवाओं की उपलब्धता, मशीनों की खराबी और डायग्नोस्टिक सेवाओं की स्थिति पर डायरेक्टर को निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि सीटी स्कैन, एमआरआई सहित सभी जरूरी जांच सेवाएं तत्काल दुरुस्त की जाएं ताकि मरीजों को किसी तरह की परेशानी न हो। कई शिकायतों पर मरीजों की समस्याओं का समाधान कराया गया। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वह जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए यह पहल कर रहे हैं।

प्राइवेट प्रैक्टिस करने वालों को चेतावनी

हॉस्पिटलके निरीक्षण के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने एक बार फिर प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि सरकारी सेवा के दौरान निजी काम बिल्कुल बर्दाश्त नहीं होगा। सरकार वेतन और सम्मान दे रही है। जो प्राइवेट प्रैक्टिस करना चाहते हैं, पहले नौकरी छोड़ें। उन्होंने दावा किया कि पिछले नौ महीनों में जहां भी कमियां मिलीं, वहीं से सुधार शुरू हुआ है। जिसके परिणामस्वरूप अब सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। उन्होंने बताया कि कई आउटसोर्सिंग कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किया गया है और नई कंपनियों के चयन की प्रक्रिया जारी है।

बड़े पैमाने पर होगी नियुक्ति

स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर करने के लिए जल्द ही सभी विभागों में बड़े पैमाने पर नियुक्तियां की जाएंगी। अस्पताल निरीक्षण के दौरान खराब एंबुलेंस सिस्टम पर भी मंत्री ने नाराजगी जताई और नई एंबुलेंस खरीदने की प्रक्रिया तेज करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा जो ईमानदारी से काम करेगा, उसके साथ मैं चट्टान की तरह खड़ा हूं। जो सिस्टम को कमजोर करेगा, उस पर सख्त कार्रवाई होगी।

फार्मेसी में नहीं मिली दवा, मंत्री ने लगाई कड़ी फटकार

करीब आधे घंटे तक मंत्री ने डॉक्टर की तरह मरीजों की जांच की, बीमारियों के बारे में पूछा और दवाएं लिखकर दी। इस दौरान एक मरीज ने बताया कि मंत्री द्वारा लिखी गई एक महत्वपूर्ण दवा अस्पताल की फार्मेसी में उपलब्ध नहीं है। स्वास्थ्य मंत्री ने तुरंत इसकी पुष्टि करने के लिए अपने स्टाफ को भेजा। कुछ ही मिनटों में जानकारी मिली कि जो दवा उन्होंने लिखी है, वह अस्पताल के स्टॉक में कई दिनों से नहीं है। इसके बाद उन्होंने अधिकारियों को फटकार लगाई। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि फार्मेसी में रोजाना दवाओं की उपलब्धता की जांच की जाए। कई जगह गंदगी देखकर सफाई व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए।

केस 1

लोहरदगा से एक मरीज अनीता कुमारी को लेकर परिजन न्यूरो विभाग में लेकर आए थे। उसे चलने में परेशानी हो रही थी। उन्होंने अस्पताल में व्हीलचेयर मांगा। उन्हें टूटा हुआ व्हीलचेयर दिया जा रहा था जिसे लेने से उन्होंने मना कर दिया। उसके बाद परिजन उसे कंधे पर लादकर सेंट्रल कलेक्शन सेंटर तक लेकर पहुंचे।

केस-2

एक भर्ती मरीज के परिजन ने स्वास्थ्य मंत्री से व्हीलचेयर को लेकर शिकायत की। परिजन ने कहा कि व्हीलचेयर को लॉक करके रखा जाता है। जहां पर ट्रॉली लिखा है, वहां पर ट्रॉली नहीं है। ऐसे में मरीज को परेशानी हो रही है।

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