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लालू-राबड़ी शासनकाल में स्वास्थ्य व्यवस्था थी भगवान भरोसे, अब नीतीश सरकार ने किए बड़े सुधार

जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने एक बयान में कहा- "लालू-राबड़ी के शासनकाल में सरकारी अस्पताल लूट का अड्डा बन गए थे, प्राथमिक इलाज के लिए भी गरीबों को दर-दर भटकना पड़ता था। और बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से बदहाल हो चुकी थी"।

by Rakesh Pandey
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पटना: बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार को लेकर जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने एक बयान जारी करते हुए नीतीश कुमार की सरकार के कामों की सराहना की और दावा किया कि नीतीश सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र में कई अहम कदम उठाए हैं, जिनका असर अब प्रदेश के सुदूर ग्रामीण इलाकों में भी नजर आने लगा है। उन्होंने खासतौर पर उस समय की आलोचना की जब बिहार में लालू-राबड़ी शासन था, और कहा कि उस दौरान स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से “भगवान भरोसे” थी।

स्वास्थ्य सेवा में हुई वृद्धि

उमेश कुशवाहा ने बताया कि 2005 से पहले बिहार के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में औसतन महज 39 मरीज आते थे, लेकिन अब यह आंकड़ा बढ़कर 11,000 से ज्यादा हो गया है। उनके मुताबिक, यह बदलाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में किए गए सुधारों का परिणाम है। उन्होंने यह भी कहा कि आज ग्रामीण इलाकों में लोग बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं, जो पहले असंभव सा लगता था।

लालू-राबड़ी शासनकाल पर कटाक्ष

उमेश कुशवाहा ने पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी के शासनकाल पर तीखा हमला करते हुए कहा कि उस समय बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था बिल्कुल “भगवान भरोसे” थी। उन्होंने आरोप लगाया कि उस दौर में प्राथमिक इलाज के लिए भी गरीबों को दर-दर भटकना पड़ता था। “लालू-राबड़ी के शासनकाल में सरकारी अस्पताल लूट का अड्डा बन गए थे, और बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से बदहाल हो चुकी थी,” उन्होंने कहा। कुशवाहा ने यह भी जोड़ा कि अगर आरजेडी स्वास्थ्य मुद्दों पर अनावश्यक बयानबाजी करने से पहले अपने शासनकाल को याद करे, तो बेहतर होगा।

शिशु मृत्यु दर में सुधार

प्रदेश अध्यक्ष ने राज्य में शिशु मृत्यु दर (IMR), मातृ मृत्यु दर (MMR), और नवजात मृत्यु दर में उल्लेखनीय सुधार का दावा किया। उन्होंने बताया कि 2005 के मुकाबले इन सभी आंकड़ों में भारी गिरावट आई है, और अब बिहार का शिशु मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से भी कम है। यह, उन्होंने कहा, नीतीश सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति और स्वास्थ्य क्षेत्र में किए गए सुधारों का परिणाम है।

स्वास्थ्य क्षेत्र में भविष्य के बड़े बदलाव

उमेश कुशवाहा ने प्रदेश में स्वास्थ्य क्षेत्र के सुधारों का विस्तार करते हुए बताया कि पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (PMCH) को 5462 बिस्तरों वाले दुनिया के सबसे बड़े अस्पताल के रूप में विस्तारित किया जा रहा है, जिसकी अनुमानित लागत 5540.07 करोड़ रुपये है। इस परियोजना के पूरी तरह से लागू होने से बिहार के स्वास्थ्य क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव आएगा। इसके अलावा, उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संयुक्त प्रयास से दरभंगा में एक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (एम्स) का शिलान्यास किया गया है, जो भविष्य में बिहार के स्वास्थ्य क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा।

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