रांची: झारखंड हाईकोर्ट में सोमवार को बांग्लादेशी घुसपैठ के मामले पर सुनवाई हुई, जिसमें राज्य सरकार की ओर से अपनी स्थिति पेश की गई। मामले की अगली सुनवाई 4 फरवरी 2025 को निर्धारित की गई है। इस मामले में, याचिकाकर्ता सोमा उरांव द्वारा बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई जारी है।
हाईकोर्ट का आदेश और राज्य सरकार की प्रतिक्रिया
सुनवाई के दौरान, झारखंड सरकार ने कोर्ट को सूचित किया कि इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है, और इसी कारण राज्य सरकार ने बांग्लादेशी घुसपैठ की जांच के लिए एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित करने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है। राज्य सरकार का कहना है कि जब संताल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ का कोई मामला नहीं है, तो उस इलाके की जनसांख्यिकी पर रिपोर्ट क्यों दाखिल की जाए।
इससे पहले, 20 सितंबर 2024 को झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि वह बांग्लादेशी घुसपैठ की जांच के लिए कमेटी गठित कर छह जिलों—देवघर, गोड्डा, साहिबगंज, पाकुड़, दुमका और जामताड़ा—की जनसांख्यिकी से संबंधित डेटा के साथ रिपोर्ट दाखिल करे।
राज्य सरकार का तर्क
राज्य सरकार ने अपने जवाब में यह भी बताया कि बांग्लादेशी घुसपैठ का कोई मामला झारखंड में सामने नहीं आया है। राज्य के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में यह स्पष्ट किया था कि राज्य में कोई घुसपैठ की घटना नहीं हुई है।
बांग्लादेशी घुसपैठ पर सुनवाई का महत्व
बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा झारखंड में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह राज्य की सुरक्षा और जनसांख्यिकी पर प्रभाव डाल सकता है। याचिकाकर्ता सोमा उरांव ने आरोप लगाया था कि राज्य में बांग्लादेशी नागरिकों का अवैध रूप से प्रवेश हो रहा है, जो स्थानीय निवासियों के लिए खतरे की वजह बन सकता है।
आगे की सुनवाई और कानूनी प्रक्रियाएं
इस मामले पर सुनवाई की अगली तारीख 4 फरवरी 2025 तय की गई है। कोर्ट ने राज्य सरकार से रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था, लेकिन अब तक राज्य सरकार ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। आगामी सुनवाई में राज्य सरकार की स्थिति पर विचार किया जाएगा, और मामले के आगे के कदम तय किए जाएंगे।