सेंट्रल डेस्क। स्क्रीन पर एक महिला की आवाज आती है- वाह उस्ताद वाह, जवाब आता है- अरे, हुजूर वाह ताज बोलिए। उस दशक का हर व्यक्ति इन लाइनों से परिचित है। जाकिर हुसैन के बारे में हमारी याद यह है कि जब वह बेहद बोलने वाले (वाकपट्टु) थे, तो उन्होंने अपने तबले को बात करने देना पसंद किया। जब भी वह मंच पर कदम रखते, अपने तबले के सामने बैठते, दर्शक किसी उस्ताद की शान में चुप हो जाते। हर प्रदर्शन से पहले उनकी प्यारी मुस्कान, उनकी विनम्रता ही लोगों के साथ उनका जुड़ाव बनाती थी।
दुख की बात है कि अब हम उन्हें और बोलते हुए नहीं सुन पाएंगे। जाकिर हुसैन का 15 दिसंबर को सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस के कारण निधन हो गया, एक ऐसी स्थिति जो फेफड़ों के ऊतकों के निशान के बाद विकसित होती है। वह पिछले दो सप्ताह से अस्पताल में भर्ती थे। वह केवल 73 वर्ष के थे।
ताजमहल चाय औऱ जाकिर हुसैन का तबला
एडवर्टाइजिंग इंडस्ट्री और आम जनता उन्हें अपने मंत्रमुग्ध तबला वादन कौशल के साथ-साथ ब्रुक बॉन्ड ताजमहल टीवी ऐड के लिए भी याद रखेंगे, जिसने उन्हें पूरे भारत के घरों में प्रसिद्धि दिलाई। कुछ साल पहले फोर्ब्स ने शेयर किया था कि टीवीसी के निर्माण में क्या हुआ और इसने ब्रांड का समर्थन करने के लिए तबला के जादूगर को क्यों और कैसे चुना।
जाकिर का जादू, पश्चिमी उपभोक्ताओं पर भी चला
ब्रुकबॉन्ड ताजमहल को 1966 में लॉन्च किया गया था और इसे पश्चिमी उपभोक्ताओं के लिए उपयुक्त समझा गया। लेकिन हैरान कर देने वाली बात है कि इतनी महंगी चाय मध्यम वर्ग ने भी लेना शुरू कर दिया था। कंपनी ने अस्सी के दशक में इसे फिर से लॉन्च करने और अपनी अपील को बड़े स्तर पर फैलाने पर विचार करने लगी।
काफी रिसर्च के बाद सुझाव दिया गया है कि चाय के पारखी लोग चाय ब्रांड चुनने के लिए रंग, उसकी सुगंध और स्वाद का पैमाना देखते है। ताजमहल चाय में एक विशिष्ट भूरा रंग और एक मादक सुगंध थी। इसमें एक स्वाद भी था, जो चाय मास्टर की ओर से बेहद रिसर्च के बाद तैयार की गई थी। इसलिए जब इसे दोबारा लॉन्च करने का फैसला किया गया, तो उसमें भारतीयता को जोड़ने को प्राथमिकता दी गई।
रहते अमेरिका में थे, लेकिन थाप भारतीय संगीत वाद्य को देते थे
इसके लिए एचटीए विज्ञापन एजेंसी बनी और इसने टीवीसी बनाने के लिए फिल्म निर्माता सुमंत्रा घोषाल को काम पर रखा था। केएस चक्रवर्ती (ऐड जगत के Chax and pops) तब कॉपीराइटर थे और संगीत वाद्ययंत्रों से उन्हें प्रेम था, खासकर तबले से। यही कारण है कि उन्होंने जाकिर हुसैन को सही विकल्प समझा, क्योंकि उन्होंने पश्चिमी और भारतीय दोनों ही जगहों पर अपनी पहचान बनाई थी। वह अमेरिका में रहते थे, फिर भी उन्होंने तबला जैसे एक भारतीय म्यूजिकल इंस्ट्रुमेंट को दुनिया भर में और दुनिया भर के सर्वश्रेष्ठ म्यूजिशियन के साथ बजाया।
“अरे हुजूर, वाह ताज बोलिए”
फिर यह तय हुआ कि इसे आगरा के अजूबे ताजमहल में फिल्माया जाएगा और फिल्म में ज़ाकिर को तबले पर अभ्यास करते हुए दिखाया जाएगा, जिसमें उनके बालों को उड़ता हुआ दिखाया जाएगा, क्योंकि वह अपने रियाज़ में डूबे हुए थे। ब्रेक लेते हुए जाकिर को चाय की चुस्कियां लेते दिखाया गया और एक महिला की आवाज में सुनाई दिया वाह उस्ताद वाह! जाकिर ने अपने अनोखे अंदाज में जवाब दिया, “अरे हुजूर, वाह ताज बोलिए”। इस विज्ञापन के लिए वॉयसओवर प्रसिद्ध हरीश भिमानी जी ने दिया।
कई आए, पर जाकिर दिलों-दिमाग में बस गए
इस ऐड को दूरदर्शन पर चलाया गया और इसने जनता के जुबान पर जादू चलाया। न केवल चाय बल्कि जाकिर और खूबसूरत ताजमहल ने भी और फिर बाकी इतिहास बन गया। ब्रांड ने बाद में अपने टीवीसी में सितार पर नीलाद्री कुमार और संतूर पर राहुल शर्मा जैसे अन्य संगीतकारों का इस्तेमाल किया और जाकिर खुद रूबी भाटिया और अलीशा चिनॉय जैसे अन्य सेलेब्स के साथ दिखाई दिए, लेकिन आज भी हम जो याद करते हैं, वह पहला टीवीसी है जिसमें उन्हें दिखाया गया था। ऐसा था उनका और उनके तबले का जादू।