सेंट्रल डेस्क: खांसी होने पर जल्द से जल्द इलाज कराना चाहिए। क्योंकि इससे टीबी भी हो सकता है। जैसे बार-बार होने वाली खांसी, वजन कमी, थकान, बुढ़ापे के बावजूद बढ़ती हुई बुढ़ापा टीबी के लक्षण हो सकते हैं। टीबी का उपचार एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल करके किया जाता है और इसमें एक या एक से अधिक दवाएं शामिल हो सकती हैं। स्वस्थ आहार, पूर्ण आराम और देखभाल भी महत्वपूर्ण हैं। यह आमतौर से फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन इसका प्रभाव अन्य अंगों पर भी होता है। टीबी के संकेतों को पहचानने, उपचार करने और बचाव करने के लिए समझदारी और त्वरित कदम उठाना महत्वपूर्ण है।
टीबी के लक्षण
खांसी सामान्य है या टीबी की है। इससे पहचानने की जरूरत है। डॉक्टरों का कहना है कि टीबी रोगी की खांसी को दो सप्ताह से अधिक गुजर जाते हैं, लेकिन उनकी खांसी नहीं जाती है। हालांकि, सामान्य रोगियों को भी इस तरह की खांसी हो सकती है। लेकिन इसके अलावा टीबी पेशेंट में कुछ और लक्षण देखने को मिलते हैं, जोकि सामान्य खांसी वाले पेशेंट में आमतौर पर नहीं होते हैं। टीबी पेशेंट की खांसी में खून आने लगता है, थकान रहती है। भूख कम लगने के कारण वजन तेजी से घटता है। ठंड लगना, बुखार और रात को अधिक पसीना आना इसके लक्षण होते हैं।
ऐसे कराएं टीबी का इलाज
टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से अभियान चलाया जा रहा है। सरकारी केंद्रों पर टीबी की दवाएं फ्री होती हैं, जबकि निजी केंद्रों पर ये बहुत महंगी होती हैं। टीबी रोगी को 6 महीने तक का कोर्स कंप्लीट करना होता है। मरीज की कंडीशन के आधार पर इसे एक से दो महीने और बढ़ाया जा सकता है। यदि इस बीच मरीज दवा छोड़ देता है, तो उसे मल्टीड्रग रेसिसटेंट हो जाता है। इसमें दवा लंबी अवधि तक खिलानी होती है। यदि इस दौरान भी मरीज दवा खाने में लापरवाही बरतें हालात बिगड़ सकते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि टीबी रोगियों को जिंदगी से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। उन्हें पूरा कोर्स करना चाहिए।
टीबी के संकेत
खांसी : टीबी का प्रमुख संकेत हो सकता है लगातार आने वाली खांसी। खांसी में खून या कफ का आना भी संभावना है।
वजन कम होना: टीबी के रोगी में अनुचित वजन कमी और दुर्बलता की स्थिति हो सकती है।
थकान : सामान्य गतिशीलता में भी तेज थकान एक संकेत हो सकता है।
बुढ़ापे के बावजूद बढ़ती हुई बुढ़ापा: टीबी के मरीजों में वृद्धि की दृष्टि से बढ़ती हुई बुढ़ापा भी एक संकेत हो सकता है।
उपचार
एंटीबायोटिक्स : टीबी का मुख्य उपचार एंटीबायोटिक्स का उपयोग है, जो माइकोबैक्टीरिया को मारते हैं। इस उपचार को नियमित और पूरा करना महत्वपूर्ण है।
अन्य दवाएं: कई बार कुछ अन्य दवाएं भी संक्रामक रोग को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं।
स्वस्थ आहार: पोषण से भरपूर आहार लेना महत्वपूर्ण है, जिससे रोगी की शक्ति और प्रतिरक्षा बढ़े।
पूर्ण आराम: उपचार के दौरान, रोगी को पूर्ण आराम देना आवश्यक है ताकि उनकी शक्ति बढ़ सके।
बचाव
हाथ-मुंह की सफाई: हाथों को बार-बार साबुन से धोना और मुंह को ढकना संक्रामक रोगों से बचाव में मदद कर सकता है।
मास्क पहनना: संक्रामक रोगों के प्रसार को रोकने के लिए आपको बाहर जाते समय मास्क पहनना चाहिए।