रांचीः वर्तमान दौर में महंगाई आसमान छू रही है। लोगों की थाली से कई चीजें गायब हो गई हैं। इस महंगाई में भी राजधानी रांची स्थित रिम्स कैंपस में मरीजों और उनके परिजनों को भरपेट खाना उपलब्ध कराया जा रहा है, वह भी मात्र 10 रुपये में। जी हां, कैंपस में वरिष्ठ नागरिकों का संघ स्टॉल का संचालन कर रहा है, जहां हर दिन सैकड़ों लोग सुबह से रात तक भोजन कर रहे हैं। इतना ही नहीं, इस स्टॉल में जिनके पास पैसे नहीं होते, उन्हें मुफ्त में भोजन कराया जा रहा है। बता दें कि रिम्स कैंपस में हनुमान मंदिर के सामने ये स्टॉल पिछले 14 वर्षों से इलाज के लिए आने वाले मरीजों और परिजनों का ध्यान खींच लेता है।
ओपीडी के मरीजों को मिल रही राहत
रांची के रिम्स कैंपस में वरिष्ठ नागरिक संघ द्वारा एक विशेष स्टॉल लगाया गया है। यहां मरीजों और उनके परिवारजनों को सस्ते दामों में भोजन और पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। इस स्टॉल का उद्देश्य हॉस्पिटल में इलाज के लिए आए मरीजों और उनके परिजनों को राहत पहुंचाना है। हनुमान मंदिर के सामने चल रहा यह स्टॉल सुबह 10 बजे से लेकर शाम 7 बजे तक खुला रहता है। यहां 10 रुपये में 6 रोटियां, सब्जी और अचार मिल रहा है। हॉस्पिटल में इलाज कराने आए मरीजों के लिए मूंग दाल की खिचड़ी उपलब्ध कराई जा रही है, जो सेहत के लिए लाभकारी मानी जाती है। इसके अलावा मरीजों और परिजनों के लिए 10 रुपये में पानी की बोतल भी उपलब्ध कराई जा रही है, ताकि पीने का साफ पानी मिल सके।
हर दिन 400 लोग ले जाते हैं खिचड़ी
हॉस्पिटल के ओपीडी में हर दिन 2 से ढाई हजार मरीज इलाज के लिए आते हैं। इन मरीजों में ज्यादातर वैसे मरीज होते हैं, जिनके पास इलाज कराने के भी पैसे नहीं होते या फिर मरीज बिना किसी तैयारी के ही रिम्स पहुंच जाते हैं। वैसे मरीजों के लिए ये स्टॉल राहत देने वाला है। स्टॉल से हर दिन 400 लोग खिचड़ी लेकर जा रहे हैं। वहीं 350 से अधिक लोग खाना खा रहे हैं। इस काम के लिए संघ ने कैंपस में ही जगह ले रखी है। वहां 4 स्टाफ सुबह से शाम तक खाना बनाने में जुटे रहते हैं। एक महिला स्टाफ स्टॉल संभाल रही है। इसके अलावा एक मैनेजर को तैनात किया गया है, जो सारी व्यवस्था देखता है।
कभी-कभी सबके लिए मुफ्त भोजन
वरिष्ठ नागरिकों के संघ आर्या चैरिटेबल ट्रस्ट के शत्रुघ्न गुप्ता का कहना है कि समाजसेवा की भावना से यह स्टॉल चलाया जा रहा है। इलाज के लिए जब मरीज आते हैं, तो उनके खाने का ठिकाना नहीं रहता। हमारा प्रयास है कि मरीजों और उनके परिवारजनों को हॉस्पिटल के वातावरण में थोड़ी राहत मिल सके। उन्होंने कहा कि यह स्टॉल सस्ते और पौष्टिक भोजन का इंतजाम करता है। स्टॉल में मिलने वाला खाना हाइजेनिक भी है। इलाज के लिए आने वाले मरीजों और उनके तीमारदारों द्वारा सराहना की जा रही है। स्टॉल के संचालक ने यह भरोसा दिलाया है कि वे भविष्य में भी इस सेवा को जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि कभी-कभी हमलोग सभी के लिए मुफ्त भोजन की व्यवस्था करते हैं। उस दिन स्टॉल पर एक हजार से अधिक लोग पहुंचते हैं। वहीं 10 रुपये को लेकर उन्होंने कहा कि ये टोकन मनी है। अगर लोग 10 रुपये देंगे तो खाना बर्बाद नहीं करेंगे।
2010 में की गई थी शुरुआत
शत्रुघ्न गुप्ता ने बताया कि सीताराम पोद्दार ने इसकी शुरुआत 2010 में करने में अहम भूमिका निभाई थी। 10 साल सेवा देने के बाद उन्होंने छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि अब इसे आपलोग चलाएं। 14 साल से अधिक समय से ये कारवां चल रहा है। आगे भी यह चलता रहेगा। जो लोग खाने आते है, उन्हें स्टॉल पर खाना दिया जाता है। जो लोग पैक कराना चाहते हैं, तो उसका चार्ज लिया जाता है, वह भी केवल कंटेनर का।
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