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Uttar Pradesh : उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में बेटे ने पिता की शव यात्रा में किया अजीबोगरीब नृत्य

इस घटना ने परंपराओं और शोक व्यक्त करने के तरीके पर सवाल उठाए हैं, लेकिन यह घटना हमें यह भी सिखाती है कि हर व्यक्ति का शोक व्यक्त करने का तरीका अलग हो सकता है।

by Rakesh Pandey
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने ना सिर्फ स्थानीय बल्कि सोशल मीडिया पर भी हंगामा मचा दिया है। एक बेटे ने अपने पिता के निधन के बाद उन्हें इस अनोखे अंदाज़ में अंतिम विदाई दी, कि पूरे गांव के लोग हैरान रह गए। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें बेटा श्मशान घाट पर नाचते हुए दिखाई दे रहा है।

यह घटना सुल्तानपुर जिले के एक छोटे से गांव की है, जहां राम किशोर मिश्रा का निधन हाल ही में हुआ था। राम किशोर मिश्रा 80 वर्ष के थे और उन्होंने प्राकृतिक कारणों से दुनिया को अलविदा कहा। उनका अंतिम संस्कार शहर के हथिया नाला स्थित श्मशान घाट पर किया गया। परंतु, जो बात इस घटना को अलग बनाती है, वह है उनके बेटे श्रीराम द्वारा पिता की शव यात्रा में किया गया अजीबोगरीब प्रदर्शन।

पिता की शव यात्रा में बेटे ने किया डांस

श्रीराम ने अपने पिता के निधन के बाद उनकी शव यात्रा में बैंड बजवाया और इसके साथ ही खुद भी नाचते हुए चलने लगे। यह दृश्य शव यात्रा में शामिल लोग देख रहे थे, लेकिन किसी को यकीन नहीं हो रहा था कि यह क्या हो रहा है। यह कृत्य उनके लिए न सिर्फ चौंकाने वाला था, बल्कि असमंजस में डालने वाला भी था।

श्रीराम ने जिस तरह से अपने पिता की शव यात्रा को अपने जश्न का हिस्सा बना लिया, वह लोगों के लिए शॉकिंग था। बैंड बजवाने का चलन भारत में आम तौर पर विवाह समारोहों में होता है, लेकिन यह घटना पूरी तरह से भिन्न थी। शव यात्रा के दौरान ऐसे किसी भी प्रकार के उत्सव का आयोजन बहुत कम देखा जाता है, और खासकर जब शव यात्रा में नाचने जैसी गतिविधि हो, तो यह और भी चौंकाने वाला हो जाता है।

डांस का वीडियो हो रहा सोशल मीडिया पर वायरल

इस घटना का वीडियो वायरल होते ही सोशल मीडिया पर तीव्र प्रतिक्रियाएं आईं। कुछ लोग श्रीराम की इस हरकत को निंदनीय मानते हुए इसे संस्कारों और परंपराओं के खिलाफ मान रहे हैं। उनका कहना है कि किसी के निधन के बाद शोक और श्रद्धा व्यक्त करना जरूरी है, न कि उत्सव मनाना। वहीं कुछ लोग इसे सिर्फ एक निजी मामला मानते हुए कहते हैं कि हर किसी का शोक मनाने का तरीका अलग हो सकता है और यह श्रीराम का निजी फैसला था।

स्थानीय लोग भी इस घटना को लेकर बंटे हुए हैं। कुछ का मानना है कि यह कृत्य अपरंपरागत और अपमानजनक था, जबकि अन्य इसे एक प्रकार से उनके व्यक्तिगत दर्द और राहत का प्रतीक मान रहे हैं। गांव में कुछ लोग इसे यह कहते हुए उचित ठहराने की कोशिश कर रहे हैं कि श्रीराम ने अपने पिता को अपनी तरह से सम्मानित किया।

हालांकि इस घटना ने परंपराओं और शोक व्यक्त करने के तरीके पर सवाल उठाए हैं, लेकिन यह घटना हमें यह भी सिखाती है कि हर व्यक्ति का शोक व्यक्त करने का तरीका अलग हो सकता है। इस कृत्य को लेकर समाज में कई तरह की प्रतिक्रियाएं हैं और इसे एक अलग दृष्टिकोण से देखा जा सकता है।

फिलहाल, इस घटना के बाद श्रीराम की इस हरकत ने न सिर्फ गांव में बल्कि पूरे जिले में चर्चा का माहौल बना दिया है। वहीं, सोशल मीडिया पर भी लोग अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं, जिससे यह घटना और भी ज्यादा चर्चित हो गई है। अब देखना यह होगा कि इस मामले पर स्थानीय प्रशासन और समाज किस तरह की प्रतिक्रिया दिखाता है।

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