सेंट्रल डेस्क। हमास इजराइल युद्ध पर पूरे विश्व की नजर टिकी हुई है। विश्व में राजनीतिक और सांस्कृतिक बदलावों की गहरी चुनौती के बीच, संयुक्त राष्ट्र महासभा का एक महत्वपूर्ण निर्णय इनदिनों चर्चा में है। इसके तहत सीरिया के गोलन हाइट्स से इजराइल को हटाने का प्रस्ताव पारित किया गया है। इस मुद्दे आए प्रस्ताव का भारत ने भी समर्थन किया है।
यूएन में इजराइल के खिलाफ प्रस्ताव का भारत ने किया समर्थन
आपको बता दें कि इस प्रस्ताव में 8 देशों ने इसके विरोध में वोट किया वही 62 देश वोटिंग से दूर रहे। चलिए जानते है कि इस निर्णय के पीछे की कहानी क्या है और भारत का इसमें सहयोग का क्या मत है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा का ऐतिहासिक निर्णय
बीते कुछ समय से भारत और इजराइल के बीच नोक झोंक की स्थिति बनी रही है और हाल ही में इसी से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आ रही है। दरअसल, इजराइल और हमास के बीच छिड़ी जंग के बीच UNGA (संयुक्त राष्ट्र महासभा) ने एक बेहद जरूरी प्रस्ताव पारित किया है। इस प्रस्ताव में सीरिया के गोलन हाइट्स से इजराइल को अपना कब्जा हटाने की मांग है। इस संबंध में भारत ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया है, जो एक महत्वपूर्ण और चर्चित मुद्दा बनता दिख रहा है।
भारत का समर्थन: सहर्ष 91 देशों की एकता
इस प्रस्ताव को लेकर भारत सहित कुल 91 देशों ने समर्थन दिखाया है। इसके अलावा, बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल, चीन, लेबनान, ईरान, इराक, और इंडोनेशिया भी समर्थन जतानेवाले देशों में शामिल हैं। यह साझा दृढ़ता का संकेत है कि विश्व समुद्र में सुरक्षित और स्थिरता की दिशा में साथी देशों के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है।
विरोध में पड़े आठ वोट, अलग रहे 62 देश
प्रस्ताव के खिलाफ वोट करने वाले 8 देशों की ओर से विरोध जाहिर किया गया है। वहीं, 62 देश ने इस प्रस्ताव को वोट नहीं किया है। इस निर्णय से यह साबित होता है कि यह एक चुनौतीपूर्ण मुद्दा है जिस पर विश्व एकमत नहीं है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में हमास के आतंकी हमले की निंदा की है और इससे साफ होता है कि भारत, पारंपरिक तौर पर फिलिस्तीन समर्थक देश है। बीते दो दशकों में देखा गया है कि इन दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में साझेदारियां हुई हैं, जिससे इनके संबंधों में नई दिशा मिल सकती है।
क्या है गोलन हाइट्स?
गोलन हाइट्स पश्चिमी सीरिया का एक पहाड़ी इलाका है, जिसे 1967 में इजराइल ने सीरिया से छह दिनों के युद्ध के बाद कब्जा किया था। इस इलाके में रहने वाले लोगों को छोड़कर ज्यादातर सीरियाई अरबी निवासी इलाका छोड़कर बाहर निकल गए थे। 1973 में सीरिया ने फिर कब्जा करने का प्रयास किया, लेकिन उसे नकारात्मक संघर्ष का सामना करना पड़ा। इसके बाद से दोनों देशों के बीच युद्ध विराम लागू किया गया है, लेकिन इजराइल ने 1981 में गोलन हाइट्स को अपने क्षेत्र में मिलाने की एकतरफा घोषणा की थी।
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