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भारतीय विदेश मंत्री मिले पाकिस्तानी PM से, SCO मीटिंग से पहले की मॉर्निंग वॉक

एससीओ सीएचजी की 23वीं बैठक में संगठन के व्यापार और आर्थिक एजेंडे से संबंधित चर्चा हो सकती है। इस बैठक का प्रतिनिधित्व भारत की ओर से विदेश मंत्री एस जयशंकर कर रहे है।

by Reeta Rai Sagar
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सेंट्रल डेस्क। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में भाग लेने के लिए मंगलवार को पाकिस्तान पहुंचे। शिखर सम्मेलन से पहले इस्लामाबाद स्थित समारोह स्थल पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने स्वागत किया। विदेश मंत्री की पाकिस्तान यात्रा के दौरान कई दुर्लभ तस्वीरें भी सामने आई।

9 साल बाद किसी भारतीय राजनयिक का यह पहला पाकिस्तान दौरा है। जहां विदेश मंत्री को शिष्टाचार अभिवादन करते देखा गया। इससे पहले SCO नेताओं के लिए आयोजित डिनर में भी पाकिस्तानी पीएम ने भारतीय विदेश मंत्री का स्वागत किया था। एससीओ मीट से पहले एस जयशंकर की पाकिस्तान में मॉर्निंग वॉक की तस्वीरें भी आई, जिसकी खूब चर्चा रही। भारतीय मंत्री इस्लामाबाद उच्च आयोग के परिसर में अपने कर्मचारियों के साथ घूमते नजर आए।

द्विपक्षीय साझेदारी की मजबूती पर हुई चर्चा


मंगलवार को सम्मेलन में भारतीय विदेश मंत्री और मंगोलिया के प्रधानमंत्री लुव्सन्नामस्त्रेन ओयुन-एर्डीन के साथ द्विपक्षीय साझेदारी की मजबूती पर चर्चा हुई। इस संबंध में एस जयशंकर ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर खुद इसकी जानकारी दी।

बैठक में अलग-अलग देशों के 15 नेता भाग लेंगे

पाकिस्तान ने एससीओ बैठक से पहले कड़ी सुरक्षा की व्यवस्था की है। मुख्य सम्मेलन बैठक आज होनी है। एससीओ सीएचजी की 23वीं बैठक में संगठन के व्यापार और आर्थिक एजेंडे से संबंधित चर्चा हो सकती है। इस बैठक का प्रतिनिधित्व भारत की ओर से विदेश मंत्री एस जयशंकर कर रहे है। सालाना होने वाली इस बैठक में एससीओ की रूपरेखा से लेकर व्यापार और संगठन के आर्थिक एजेंडा पर भी ध्यान दिया जाएगा। इस बैठक में अलग-अलग देशों के 15 नेता भाग लेंगे।

क्या होता है SCO
साल 1996 में अप्रैल माह में एक बैठक हुई, जिसमें चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान औऱ तजाकिस्तान शामिल हुए। इस बैठक का उद्देश्य आपस में एक-दूसरे के नस्लीय और धार्मिक तनाव को कम करने के लिए सहयोग करना। तब इसे शंघाई 5 कहा जाता था। लेकिन पूर्ण रूप से इसका गठन 15 जून 2001 में हुआ। तब इन्हीं देशों ने मिलकर शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन की नींव रखी। जब 1996 में इसकी नींव रखी गई, तब इसका मकसद चीन और रूस की सीमा पर तनाव को कम करना था। जो कि तीन साल में ही पूरा हो गया। इसलिए इसे प्रभावशाली संगठन माना जाता है।

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