दिल्ली : जनवरी 2025 में भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का एक महत्वपूर्ण कारण विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) द्वारा भारी निकासी करना है। इस महीने के पहले 15 कारोबारी दिनों में एफआईआई ने भारतीय शेयर बाजार से 57,000 करोड़ रुपये से अधिक की बिक्री की है, जिससे प्रमुख शेयर सूचकांक सेंसेक्स में 2,300 अंकों की गिरावट आई है और निफ्टी 2.6% तक नीचे आ गया है। इन घटनाओं ने भारतीय शेयर बाजार में भारी अस्थिरता पैदा की है और निवेशकों के लिए चिंता का कारण बन गई है।
FII की निकासी: भारतीय बाजार के लिए बड़ा संकट
विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार से पैसा निकालना न केवल घरेलू निवेशकों के लिए एक चिंता का विषय है, बल्कि इससे भारतीय बाजार पर दबाव बढ़ने की आशंका भी जताई जा रही है। जनवरी 2025 में एफआईआई द्वारा की गई यह भारी निकासी भारतीय शेयर बाजार को नीचे खींचने का प्रमुख कारण बन गई है। पिछले कुछ महीनों से भारतीय कंपनियों के तिमाही परिणामों में निराशाजनक आंकड़े सामने आए हैं, जिससे निवेशकों का विश्वास कमजोर पड़ा है। हालांकि कुछ प्रमुख कंपनियों जैसे टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) और रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) ने सकारात्मक परिणाम दिए हैं, लेकिन उपभोक्ता खर्च में कमी और जॉमैटो जैसे शेयरों में गिरावट के कारण एफआईआई भारतीय बाजार से बाहर निकलने पर मजबूर हुए हैं।
डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियों से एफआईआई के आउटफ्लो में बढ़ोतरी
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में अमेरिका की आर्थिक नीतियों ने वैश्विक वित्तीय बाजारों को प्रभावित किया था। अब एक बार फिर से उनके नेतृत्व में अमेरिकी नीतियां भारतीय बाजार पर दबाव डाल सकती हैं। अमेरिकी डॉलर में मजबूती के कारण भारतीय रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर तक गिर चुका है, और भारतीय शेयर बाजार से निकासी में तेजी आ सकती है। ट्रम्प की व्यापार और इमीग्रेशन नीतियां अगर मुद्रास्फीति को बढ़ाती हैं, तो इससे अमेरिकी फेडरल रिजर्व की दरों में कटौती के उपाय प्रभावित हो सकते हैं, जिससे पूंजी का प्रवाह भारतीय बाजार से और कम हो सकता है।
अमेरिकी डॉलर में मजबूती और रुपया
इस समय अमेरिकी डॉलर में मजबूती देखी जा रही है, जो भारतीय रुपया के लिए नकारात्मक साबित हो रही है। जनवरी में डॉलर की बढ़ती ताकत के कारण भारतीय रुपये में लगभग 3% की गिरावट आई है, जो 86.70 रुपये प्रति डॉलर के स्तर तक पहुंच गया है। इससे भारतीय शेयर बाजार में निवेशकों के लिए और भी जोखिम बढ़ गया है और एफआईआई के लिए भारतीय बाजार से पूंजी निकालने का दबाव बढ़ गया है। डॉलर की ताकत और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड्स के बढ़ने के कारण विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से अपनी पूंजी निकालने की प्रवृत्ति को तेज कर सकते हैं।
भारतीय बाजार की निराशाजनक तिमाही परिणाम
भारतीय कंपनियों के तिमाही परिणाम भी निवेशकों को निराश कर रहे हैं। प्रमुख कंपनियों के मजबूत परिणामों के बावजूद, उपभोक्ता खर्च में कमी और कुछ कंपनियों के खराब प्रदर्शन की वजह से विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से बाहर जा रहे हैं।
भारतीय बाजार में और गिरावट की आशंका
बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज द्वारा किए गए एक हालिया सर्वेक्षण में यह सामने आया है कि भारत अब विदेशी निवेशकों की प्राथमिकता से बाहर हो गया है। इस सर्वेक्षण में अधिकांश प्रतिभागियों ने भारतीय शेयर बाजारों में और गिरावट की संभावना व्यक्त की है, जिससे आने वाले समय में भारतीय बाजार में और अधिक दबाव बन सकता है।
शेयर बाजार में आ सकती है और गिरावट
कुल मिलाकर, एफआईआई की भारी निकासी और ट्रम्प की नीतियों के कारण भारतीय शेयर बाजार में संकट और अस्थिरता की संभावना बढ़ गई है। अमेरिकी डॉलर की मजबूती और मुद्रास्फीति के दबाव से भारत में निवेश प्रवाह पर भी असर पड़ रहा है। इन घटनाओं के कारण भारतीय शेयर बाजार में और गिरावट की संभावना जताई जा रही है, और निवेशकों को सावधानी से कदम उठाने की सलाह दी जा रही है।