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ISRO ने रचा इतिहास, SpaDeX की सफलतापूर्वक हुई डॉकिंग

SpaDeX मिशन भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य स्वचालित रेंडेजवस और डॉकिंग तकनीक को विकसित करना है।

by Reeta Rai Sagar
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सेंट्रल डेस्क। Indian Space and Research Organization (ISRO) ने एक और इतिहास रचा है। ऐतिहासिक उपलब्धि में, ISRO ने अपने SpaDeX उपग्रहों को अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक डॉक किया, जिससे भारत दुनिया का चौथा देश बन गया, जिसके पास डॉकिंग और अनडॉकिंग की क्षमता हैं।

डॉकिंग प्रयोग, जो 12 जनवरी, 2025 को शुरू हुआ था, दो उपग्रहों के बीच एक डांस है, जिसे चेज़र ने भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के इंजीनियरों द्वारा मिलकर कोरियोग्राफ किया और फिर टैंगो में टारगेट सैटेलाइट पर अलाइन किया गया है।

SpaDeX मिशन में दो उपग्रह शामिल है:
SDX01 (चेज़र) और SDX02 (टारगेट), प्रत्येक का वजन लगभग 220 किलोग्राम है, जिससे की दोनों ही सैटेलाइट अंतरिक्ष की ठंडक में अपना रास्ता नेविगेट कर सके और डॉकिंग के लिए साथ में अलाइन कर सके।

ISRO ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया
ISRO ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “भारत ने अंतरिक्ष इतिहास में अपना नाम दर्ज कर लिया है। गुड इसरो के SpaDeX मिशन ने ऐतिहासिक डॉकिंग सफलता हासिल की है। इस पल को देखकर गर्व महसूस हो रहा है। इससे पहले भी इसरो ने दो उपग्रहों को 12 जनवरी को तीन मीटर तक की दूरी पर लाने की कोशिश की थी। बता दें कि इसरो ने 30 दिसंबर, 2024 को स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (SpaDeX) मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था।

अगली डॉकिंग विंडो 25 मार्च को खुलेगी
SpaDeX मिशन के चेज़र सैटेलाइट के पास 4.5 किलोग्राम प्रोपेलेंट मौजूद है, जो दो बार डॉकिंग और अनडॉकिंग के लिए काफी है। हालांकि, वर्तमान ऑपरेशनल विंडो 20 जनवरी को बंद हो जाएगी। इसके बाद अगली उपयुक्त डॉकिंग विंडो 25 मार्च को खुलेगी, जिसमें 65 दिनों का अंतराल रहेगा।

वैज्ञानिक ने बताई देरी की वजह
खबरों के अनुसार, मिशन में देरी का कारण सूर्य की कम रोशनी को बताया जा रहा है। इसरो के पूर्व वैज्ञानिक मनीष पुरोहित ने बताया कि पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण हर ऑर्बिट के बाद सैटेलाइट्स का ट्रैकिंग जटिल हो जाता है। सैटेलाइट्स 7 किमी/सेकंड की रफ्तार से चलते हुए 90 मिनट में एक ऑर्बिट पूरा करते हैं, जिससे ग्राउंड स्टेशन के पास सिर्फ 15-20 मिनट का संपर्क समय होता है।

क्यों जरूरी है भारत के लिए यह मिशन
SpaDeX मिशन भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य स्वचालित रेंडेजवस और डॉकिंग तकनीक को विकसित करना है। यह टेक्निक भविष्य के अंतरिक्ष अभियान जैसे चंद्रमा व अन्य अभियान के लिए जरूरी होगी। फिलहाल रूस, चीन और अमेरिका इस तकनीक में आगे है। SpaDeX मिशन की सफलता के बाद इसरो की योजना 2040 तक चंद्रमा की कक्षा में क्रू स्पेस स्टेशन स्थापित करने और 2028 तक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से सैंपल-रिटर्न लाने की है।

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