Home » जगदीप धनखड़ पहले सरकार की शान में कशीदे पढ़ते है और फिर खुद को एकलव्य कहते हैः मल्लिकार्जुन खरगे

जगदीप धनखड़ पहले सरकार की शान में कशीदे पढ़ते है और फिर खुद को एकलव्य कहते हैः मल्लिकार्जुन खरगे

सभापति सदन शुरू होने के बाद 40 मिनट खुद भाषण देते है और फिर कहते है दंगा करो। ऐसा लगता है वे सदन नहीं, बल्कि सर्कस चला रहे है।

by Reeta Rai Sagar
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सेंट्रल डेस्कः उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के संबंध में विपक्षी दल कांग्रेस ने आज प्रेस कांफ्रेंस की। इस प्रेस कांफ्रेंस को राज्यसभा के विपक्ष नेता और कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने संबोधित किया। देश के प्रथम उपराष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद करते हुए धनखड़ पर पक्षपात का आरोप लगाया।

उपराष्ट्रपति लोकतंत्र का महत्वपूर्ण स्तंभ

इस प्रेस कांफ्रेंस में खरगे ने अविश्वास प्रस्ताव पारित किए जाने की वजहों की भी चर्चा की। विपक्षी नेता ने कहा कि उपराष्ट्रपति लोकतंत्र का एक महत्तवपूर्ण स्तंभ होता है। इस कुर्सी पर कई लोग बैठे और काम किया। आगे खरगे ने कहा कि इतने लंबे कालखंड में किसी के लिए भी अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया गया, क्यों कि सभी ने गैरपक्षपातपूर्ण तरीके से काम किया।

मजबूरी में लाना पड़ा अविश्वास प्रस्ताव

आज हमें मजबूरी में दुख के साथ अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा, क्यों कि नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जिक्र करते हुए कहा कि 1952 में उन्होंने कहा था कि वे किसी भी पार्टी से नहीं है। इसका मतलब है कि वे किसी भी पार्ची से नहीं आते है और हर पार्टी से है, जो उनकी निष्पक्षता को दर्शाता है। खरगे ने धनखड़ को हेडमास्टर बताते हुए कहा कि वह विपक्ष के सदस्यों की हेडमास्टर की तरह स्कूलिंग करने लगते है।

सरकार की शान में कशीदे पढ़ते है धनखड़

खरगे ने आरोप लगाया कि वे कभी सरकार की शान में कशीदे पढ़ने लगते है, तो कभी खुद को राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का एकलव्य बताते है। इतना ही नहीं सभापति पर यह भी आऱोप लगा कि वे सीनियर-जूनियर का भी लिहाज नहीं करते और विपक्षियों राजनीतिक बयानबाजियां करने लगते है। सभापति पर यह भी आऱोप लगाकि वे संभावित मुद्दों पर प्रायोजित तरीके से बहस भी नहीं करने देते है।

सदन का कार्यवाही ठप करने में लगे रहते है

आगे विपक्ष की ओर से खरगे ने कहा कि वे सरकार की ओर से उनके प्रवक्ता बनकर काम कर रहे है। राज्यसभा में व्यवधान डालने वाले खुद चेयरमैन है। खरगे ने कहा कि वे हमेशा सदन को ठप्प ककने की कोशिश करते रहते है। हम अगर एक सवाल पूछ लें, तो सभापति सरकार का पक्ष लेने लगते है। उनका रवैया देश में निराशा का कारण बन रहा है।

सदन नहीं सर्कस चला रहेः संजय राऊत

शिवसेना(यूबीटी) के सांसद संजय राऊत ने भी धनखड़ पर आऱोप लगाते हुए कहा कि वे सभा नहीं बल्कि सर्कस चलाते है। उन्होंने कहा कि यह व्यक्तिगत नहीं बल्कि व्यवस्था की लड़ाई है। सभापति सदन शुरू होने के बाद 40 मिनट खुद भाषण देते है और फिर कहते है दंगा करो। ऐसा लगता है वे सदन नहीं, बल्कि सर्कस चला रहे है। राऊत ने संसदीय लोकतंत्र की परंपराओं के उल्लंघन का भी आरोप लगाया।

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