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Cyber Criminal Arrested : चीनी गिरोह के साथ मिलकर भारतीयों को ठगने वाले तीन साइबर अपराधी गिरफ्तार

ठगी की रकम को क्रिप्टोकरेंसी में करते थे ट्रांसफर, पुलिस ने जयपुर से दबोचे आरोपी

by Rakesh Pandey
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नई दिल्ली: दक्षिण-पश्चिम जिला पुलिस की साइबर थाना टीम ने चीनी नागरिकों के साथ मिलकर भारतीय नागरिकों को ठगने वाले तीन साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। राजस्थान के जयपुर निवासी इन आरोपियों के पास से पुलिस ने छह मोबाइल फोन, कॉलिंग डिवाइस और सिम कार्ड बरामद किए हैं, जिनमें आपत्तिजनक सबूत मौजूद हैं। आरोपियों की पहचान महेंद्र सिंह राजावत, आरिफ खान और लक्ष्मी नारायण वैश्य के रूप में हुई है।


पीड़ित की शिकायत पर शुरू हुई जांच

पुलिस उपायुक्त अमित गोयल ने बताया कि साइबर थाने में पीड़ित के. कांत ने ठगी की शिकायत दर्ज कराई थी। पीड़ित ने बताया कि आरोपियों ने व्हाट्सएप और टेलीग्राम के जरिए उनसे संपर्क किया और पार्ट-टाइम काम का लालच दिया। आरोपियों ने पीड़ित से होटल और रेस्तरां के लिए ऑनलाइन सकारात्मक समीक्षाएं पोस्ट करवाईं और इसके बदले भुगतान भी किया। बाद में, क्रेडिट स्कोर सुधार और कल्याणकारी कार्यों में भागीदारी का झांसा देकर आरोपियों ने पीड़ित से 15.8 लाख रुपये अपने खातों में जमा करवाए और उन्हें ब्लॉक कर दिया। शिकायत के आधार पर इंस्पेक्टर प्रवेश कौशिक की अगुवाई में पुलिस ने जांच शुरू की।

तकनीकी विश्लेषण से खुला राज

जांच के दौरान एसआई विशाल यादव, हेड कांस्टेबल अमित और सुख लाल की टीम ने पाया कि पीड़ित ने ठगी के बाद व्हाट्सएप नंबर और धोखाधड़ी के लिंक डिलीट कर दिए थे। पुलिस ने तकनीकी विश्लेषण और डाटा रिकवरी के जरिए लेन-देन के सबूत जुटाए। इसके बाद जयपुर और अजमेर में छापेमारी कर महेंद्र सिंह राजावत को गिरफ्तार किया गया। शुरुआती पूछताछ में महेंद्र ने अपराध से इनकार किया, लेकिन सबूतों के सामने उसने अपराध कबूल लिया और अपने साथियों आरिफ खान और लक्ष्मी नारायण वैश्य के बारे में बताया। पुलिस ने दोनों को भी दबोच लिया।

चीनी नागरिकों से था गहरा कनेक्शन

पूछताछ में खुलासा हुआ कि आरोपी एक विशेष कॉलिंग डिवाइस के जरिए चीनी नागरिकों के संपर्क में थे। ठगी की रकम को यूएसडीटी और क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर चीनी संचालकों को ट्रांसफर किया जाता था। इसके लिए महेंद्र अपने फरार साथी सर्वेश की मदद लेता था। आरोपियों ने बताया कि वे बिनेंस जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते थे और इस प्रक्रिया में अपना कमीशन रखते थे। पुलिस को आरोपियों के अन्य साथियों की जानकारी भी मिली है, जिनकी तलाश में छापेमारी जारी है।

फर्जी निवेश ऐप से 2.36 लाख की साइबर ठगी, आरोपी सुमित शर्मा गिरफ्तार

सोशल मीडिया और फर्जी लिंक के जरिए ठगी, 35,000 रुपये फ्रीज, मोबाइल- सिम बरामद

नई दिल्ली: उत्तर-पूर्वी दिल्ली की साइबर पुलिस ने फर्जी निवेश ऐप और सोशल मीडिया के जरिए 2.36 लाख रुपये की ठगी करने वाले आरोपी सुमित शर्मा (28) को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने ठगी की रकम में से 35,000 रुपये फ्रीज कर लिए हैं और आरोपी के पास से एक मोबाइल फोन और दो सिम कार्ड बरामद किए हैं। यह कार्रवाई साइबर अपराधियों के नए तौर-तरीकों के खिलाफ दिल्ली पुलिस की सतर्कता को दर्शाती है।

पुलिस के अनुसार, पीड़ित ने शिकायत दर्ज की थी कि अज्ञात व्यक्ति ने फर्जी ऑनलाइन निवेश योजना के जरिए उनसे 2.36 लाख रुपये ठग लिए। शिकायत के आधार पर साइबर सेल ने त्वरित कार्रवाई शुरू की। बैंक खातों, फोन कॉल डिटेल्स और तकनीकी विश्लेषण के जरिए पुलिस ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली के करावल नगर निवासी सुमित शर्मा को गिरफ्तार किया। पूछताछ में पता चला कि सुमित ने पीड़ित को एक फर्जी निवेश ऐप के जरिए मुनाफे का लालच देकर ठगा था।

जांच में खुलासा हुआ कि सुमित एक बड़े साइबर ठगी नेटवर्क का हिस्सा था, जो व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फर्जी निवेश योजनाओं के लिंक भेजकर लोगों को निशाना बनाता था। आरोपी फर्जी वेबसाइट्स और ऐप्स के जरिए पीड़ितों को झांसे में लेता था। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए ठगी की रकम में से 35,000 रुपये फ्रीज कर लिए और शेष राशि की बरामदगी के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। बरामद मोबाइल और सिम कार्ड से पुलिस को नेटवर्क के अन्य सदस्यों के सुराग मिले हैं, जिनकी तलाश में छापेमारी जारी है।

पुलिस उपायुक्त (उत्तर-पूर्वी) ने बताया कि साइबर अपराधी लगातार नए-नए तरीकों से लोगों को ठग रहे हैं। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे अनजान लिंक, ऐप्स या निवेश योजनाओं पर भरोसा न करें। यह मामला डिजिटल युग में बढ़ते साइबर अपराधों की गंभीर चुनौती को रेखांकित करता है। दिल्ली पुलिस ने साइबर जागरूकता अभियान चलाने और ऐसे अपराधों पर लगाम लगाने की प्रतिबद्धता दोहराई है।

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