सेंट्रल डेस्क: अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बीच बातचीत शुरू हुई, जिसमें जयशंकर ने कहा कि दोनों पक्ष इस व्यापार समझौते के शीघ्र समापन के लिए सहमत हैं। जयशंकर और रुबियो के बीच यह फोन वार्ता, अमेरिकी सहायक व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच के भारत दौरे के एक सप्ताह बाद हुई थी, जिसमें द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा की गई थी।
दोनों पक्षों ने फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई मुलाकात में 2025 के समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देने पर सहमति जताई थी। जयशंकर ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि व्यापार समझौते पर यह बातचीत उनके और रुबियो के बीच हुई थी। द्विपक्षीय व्यापार समझौते के शीघ्र समापन पर सहमति बनी। आगे भी संपर्क में रहने की उम्मीद है। हालांकि उन्होंने इस संबंध में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी।
भारत की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं
अमेरिकी पक्ष से इस बातचीत पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया। जयशंकर ने यह भी बताया कि उन्होंने और रुबियो ने इंडो-पैसिफिक, भारतीय उपमहाद्वीप, यूरोप, पश्चिम एशिया और कैरेबियाई क्षेत्र पर अपने दृष्टिकोणों का आदान-प्रदान किया। ट्रंप ने 2 अप्रैल को भारत पर 26% कस्टमाइज्ड प्रत्युत्तरक शुल्क (reciprocal tariffs) लगा दिए थे, जो उनके व्यापार भागीदारों के लिए लगाए गए नए शुल्कों के तहत थे। ये ‘लिबरेशन डे’ उपाय दुनिया भर के देशों के साथ व्यापार को संतुलित करने और अमेरिका में विनिर्माण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लागू किए गए थे।
ट्रंप के बयान से लड़खड़ाया शेयर मार्केट
ट्रंप की इस घोषणा के बाद वैश्विक वित्तीय बाजारों में गिरावट आई है और सोमवार को उनके चीन पर फिर से शुल्क बढ़ाने की धमकी से और भी अस्थिरता पैदा हो गई। ट्रंप के बयान से यह संभावना जताई जा रही है कि व्यापार युद्ध में और वृद्धि हो सकती है, जिससे वैश्विक बाजारों से ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हो चुका है। ट्रंप का 10% बेसलाइन टैरिफ सभी आयातों पर शनिवार से प्रभावी हो गया और कस्टमाइज्ड प्रत्युत्तरक शुल्क, जो 50% तक हो सकते हैं, बुधवार से लागू हो जाएंगे।
गैर शुल्क बाधाओं को कम करने पर चर्चा
जब लिंच और उनके व्यापार वार्ताकारों की टीम 26-29 मार्च को नई दिल्ली दौरे पर आई थी, तब दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत के लिए व्यापक ढांचे को अंतिम रूप दिया था। भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने बाजार पहुंच बढ़ाने और शुल्क एवं गैर-शुल्क बाधाओं को कम करने पर चर्चा की थी।
वाणिज्य मंत्रालय ने यह भी कहा कि सरकार ट्रंप के नए शुल्कों के प्रभावों की सावधानीपूर्वक जांच कर रही है और उद्योग और निर्यातकों से उनके मूल्यांकन पर प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए जुड़ी हुई है। सरकार अमेरिकी व्यापार नीति में बदलावों के कारण उत्पन्न होने वाले अवसरों का भी अध्ययन कर रही है।