नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय चुनाव आयोग को अगले साल 30 सितंबर तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव (Jammu and Kashmir Election) कराने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट का निर्देश जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसले का हिस्सा था। सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अनुच्छेद 370 को लेकर अपना फैसला सुनाया है। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 370 अस्थायी है और इसे बदला जा सकता था। इसे निरस्त करने के लिए केंद्र सरकार ने सही प्रक्रिया के तहत निर्णय लिया।
सीजेआई ने Jammu and Kashmir Election पर जारी किए निर्देश
सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा, “यह न्यायालय क्षेत्र में सुरक्षा चिंताओं के प्रति सचेत है। विधानसभाओं के लिए प्रत्यक्ष चुनाव, जो भारत में प्रतिनिधि लोकतंत्र की सर्वोपरि विशेषताओं में से एक है, को राज्य का दर्जा बहाल होने तक रोका नहीं जा सकता है। उन्होंने आगे कहा, “हम निर्देश देते हैं कि भारत के चुनाव आयोग द्वारा 30 सितंबर, 2024 तक पुनर्गठन अधिनियम की धारा 14 के तहत गठित जम्मू और कश्मीर विधान सभा के चुनाव कराने के लिए कदम उठाए जाएंगे और राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाएगा।”
सीजेआई चंद्रचूड़ ने Jammu and Kashmir Election को लेकर स्पष्ट किया कि क्या संसद किसी राज्य को एक या अधिक केंद्र शासित प्रदेशों में परिवर्तित करके राज्य के चरित्र को खत्म कर सकती है। यह सवाल खुला छोड़ दिया गया है। यह याद किया जा सकता है कि शीर्ष अदालत ने पहले इस बात पर जोर दिया था कि पूर्ववर्ती राज्य ‘स्थायी रूप से केंद्र शासित प्रदेश’ नहीं हो सकता और कहा कि लोकतंत्र की बहाली बहुत अहम है।
चुनाव आयोग ने पहले भी दिया था बयान
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने अक्टूबर में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत पांच राज्यों में चुनाव का एलान करते हुए केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में भी चुनाव कराने को लेकर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि इसका फैसला सुरक्षा की स्थितियों और अन्य कारकों को ध्यान में रखकर सही समय पर लिया जाएगा। सीईसी ने कहा कि जब भी आयोग को समय सही लगेगा वहां चुनाव (Jammu and Kashmir Election) कराए जाएंगे। हालांकि, आयोग की ओर से तैयारी पूरी है।
राष्ट्रपति के पास रद्द करने की शक्ति
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने अपने और न्यायमूर्ति बीआर गवई एवं न्यायमूर्ति सूर्यकांत की ओर से फैसला सुनाते हुए कहा कि संविधान का अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था और राष्ट्रपति के पास इसे रद्द करने की शक्ति है। शीर्ष अदालत ने अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को अलग करने के फैसले की वैधता को भी बरकरा
र रखा। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य के पास देश के अन्य राज्यों से अलग आंतरिक संप्रभुता नहीं है। उन्होंने कहा, “भारतीय संविधान के सभी प्रावधान जम्मू-कश्मीर पर भी लागू हो सकते हैं। हम संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के लिए संवैधानिक आदेश जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति के इस्तेमाल को वैध मानते हैं।
चुनाव आयोग ने पूरी कर रखी है जम्मू-कश्मीर चुनाव की तैयारी
फिलहाल Jammu and Kashmir Election के तैयारियों के लिहाज से देखें, तो निर्वाचन आयोग ने राज्य में चुनाव से जुड़ी ज्यादातर तैयारियां पूरी कर रखी हैं। खासकर परिसीमन का काम वह काफी समय पहले ही पूरा कर चुका है। इसमें राज्य में विधानसभा सीटों की संख्या को 107 से बढ़ाकर 114 तक कर दिया गया है। इनमें 24 सीटें पहले की तरह पीओके के लिए आरक्षित रखी गई हैं। जबकि, बाकी 90 सीटों पर चुनाव कराए जाएंगे। इनमें से जम्मू रीजन में 43 और कश्मीर रीजन में 47 सीटें रखी गई हैं। वहीं, कुल सीटों में से नौ सीटें एसटी और दो कश्मीरी विस्थापितों के लिए रिजर्व रखी गई है। साथ ही पांच नामित सदस्य भी होंगे।
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