वीरेंद्र ओझा, जमशेदपुर : Jamshedpur सहित पूर्वी सिंहभूम जिले में दूध और दुग्ध उत्पाद की खपत दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। इसे देखते हुए पहली बार झारखंड मिल्क फेडरेशन ने 2009-10 में पहली बार जमशेदपुर में मेधा डेयरी का प्लांट खोलने की योजना को स्वीकृति प्रदान की थी। डिमना चौक से सटे मानगो के बालीगुमा में इस प्लांट का अब तीसरी बार शिलान्यास होने जा रहा है, जिसका भूमिपूजन मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन सात मार्च को करेंगे।
इससे पहले इसी प्लांट का इसी स्थान पर 2010 में तत्कालीन कृषि मंत्री मथुरा महतो और 2016 में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने शिलान्यास व भूमिपूजन किया था।
टाटा-रांची राष्ट्रीय उच्चपथ (एनएच-33) से सटे बालीगुमा में आठ एकड़ जमीन पर मुख्यमंत्री के शिलान्यास कार्यक्रम की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। पूरे मैदान में घास व झाड़ियों की कटाई कर दी गई है। 2016 में इसकी चारदीवारी बनी थी, उसका रंगरोगन किया जा रहा है। शिलापट के लिए पक्की दीवार का निर्माण किया जा रहा है।
जब मथुरा महतो ने शिलान्यास किया था, तो चारदीवारी भी नहीं बनी थी। 2020 में इस भूखंड पर शेड बनाया गया था, जिसमें रांची के होटवार स्थित मेधा डेयरी से दूध, दही, लस्सी, पनीर आदि लाकर रखे जाते हैं। इसका वितरण शहर व आसपास में किया जाता है।
25 हजार लीटर से बढ़कर हो गई 50 हजार लीटर क्षमता
झारखंड सरकार ने 2009-10 के बजट में जब इस प्लांट को स्वीकृति प्रदान की थी, तब इसकी उत्पादन क्षमता 25 हजार लीटर रखी गई थी। इसके बाद जब रघुवर दास ने 2016 में इसका शिलान्यास किया, तो इसकी दुग्ध उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 50 हजार लीटर कर दिया गया था।
अब देखने वाली बात होगी कि मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन जब सात मार्च को इस प्लांट का भ्रूमिपूजन करेंगे, तो इसकी उत्पादन क्षमता में कितनी वृद्धि की जाएगी। वित्तीय वर्ष 2018-19 में भी Jamshedpur व गिरिडीह में मेधा डेयरी प्लांट खोलने के लिए 75.34 करोड़ रुपये का बजट पारित हुआ था।
लगभग 6 लाख लीटर दूध की आवश्यकता
फिलहाल Jamshedpur व पूर्वी सिंहभूम जिला सहित आसपास में लगभग 6 लाख लीटर दूध की प्रतिदिन आवश्यकता है। जमशेदपुर डेयरी के विपणन प्रभारी देवव्रत कुंडू बताते हैं कि एक अनुमान के मुताबिक एक व्यक्ति को प्रतिदिन औसतन 200 ग्राम दूध की आवश्यकता होती है।
हालांकि सभी लोग रोज दूध नहीं पीते हैं, लेकिन अन्य लोग दही, पनीर, लस्सी, छाछ, घी, पेड़ा आदि का उपयोग करते ही हैं। वह भी इसी दूध से बनता है। अभी तो पूर्वी सिंहभूम जिले में मतदाताओं की संख्या ही लगभग 18 लाख हो गई है, तो कुल जनसंख्या 26 लाख से ज्यादा ही होगी। प्रति व्यक्ति 200 ग्राम के हिसाब से प्रतिदिन छह लाख लीटर दूध की खपत ज्यादा नहीं है।
पाउडर या मिलावटी दूध पी रहे अधिकतर लोग
फिलहाल सुधा डेयरी 1.5 लाख लीटर दूध का उत्पादन करती है, जबकि अनुमान के अनुसार सरायकेला-खरसावां जिला के चौका स्थितअमूल द्वारा लगभग 30 हजार लीटर, मेधा से करीब 10 हजार लीटर और आइटीसी के आशीर्वाद ब्रांड से लगभग 5 हजार लीटर दूध की आपूर्ति प्रतिदिन Jamshedpur व आसपास में हो रही है।
दूध कारोबारियों की मानें तो लगभग एक लाख लीटर दूध खटालों से आता है, जबकि अधिकतर लोग किसी न किसी रूप में पाउडर या मिलावटी दूध पी रहे हैं। आजकल ऐसे लोग भी कम नहीं हैं, जो दूध को सफेद जहर मानकर पीते ही नहीं हैं।
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