जमशेदपुर : साकची बसंत टॉकीज के नजदीक शहीद चौक पर शुक्रवार को जेपी आंदोलन के तीन शहीद छात्रों राजीव रंजन, प्रणब मुखर्जी और मोहम्मद मोहसिन को श्रद्धांजलि दी गई। इन युवाओं ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में चले ऐतिहासिक छात्र आंदोलन में हिस्सा लिया था और तत्कालीन सत्ता के दमन के सामने बलिदान की मिसाल पेश की थी। यह छात्र पुलिस की गोली का शिकार हुए थे।
छात्र नेता ने बताया कैसी थी जेपी आंदोलन की तपिश
हर साल की तरह इस बार भी साकची में लोगों ने उन्हें याद किया और उनकी कुर्बानी को नमन किया। छात्र नेता डॉ संजीव आचार्य ने बताया कि 18 जुलाई 1974 की वह तारीख जेपी आंदोलन की तपिश में झुलस रही थी, जब बिहार सरकार ने पूरे सूबे में एक साथ इंटर की परीक्षा कराने का हुक्म दिया था। इस फैसले का विरोध करते हुए जमशेदपुर में छात्रों ने परीक्षा का बहिष्कार किया। इस पर पुलिस ने बर्बरता से दमन चक्र चलाते हुए गोलियां चलाईं और देखते ही देखते तीन छात्रों की जान चली गई।
जेपी आंदोलन से जुड़े लोग आज राजनीति में अव्वल
उन्होंने कहा कि जेपी आंदोलन से जुड़े कई लोग आज राजनीति में ऊंचे पदों पर हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और वर्तमान विधायक तक शामिल हैं लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि अब तक इन शहीद छात्रों की न कोई प्रतिमा लगी, न कोई तस्वीर। पिछले साल एक शिलापट्ट जरूर लगाया गया, लेकिन उस पर भी न तो टाटा स्टील ध्यान दे रही है और न ही कोई बड़ा नेता।
डॉ आचार्य ने कहा कि उस दौर में कांग्रेस ने इंदिरा गांधी के नेतृत्व में लोकतंत्र का गला घोंटने जैसी स्थिति बना दी थी। ऐसे समय में लोकनायक जयप्रकाश ने जो आंदोलन खड़ा किया, उससे सत्ता तो बदली, लेकिन व्यवस्था में सुधार आज तक अधूरा है।
शहीदों की याद में आयोजित इस श्रद्धांजलि सभा में छात्र-नौजवानों ने न केवल उन्हें नमन किया, बल्कि यह संकल्प भी लिया कि उनकी कुर्बानी को व्यर्थ नहीं जाने देंगे।
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