– विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की लिस्ट में टीआरएल और संताली अलग-अलग विषय
आनंद मिश्र
जमशेदपुर : Jamshedpur women’s University : जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की नियमावली से अलग शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया का संचालन कर रहा है। इसमें जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं के उम्मीदवारों के साथ हकमारी की जा रही है। हैरान करने वाली बात यह है कि निजी संस्थानों में स्थानीय उम्मीदवारों को 75 फीसद आरक्षण दिलाने का दावा करने वाली पूरी सरकारी मशीनरी चुपचाप पूरी अनियमितता देखकर बर्दाश्त कर रही है।
Jamshedpur women’s University : कुछ ऐसा है मामला
वीमेंस यूनिवर्सिटी में आवश्यकता आधारित शिक्षकों के रिक्त पदों पर बहाली के लिए गत 9 मार्च 2024 को आवेदन पत्र आमंत्रित किया गया। इसमें टीआरएल के अंतर्गत एक पद पर रिक्ति दिखाई गई। वहीं साक्षात्कार के लिए 21 अगस्त 2024 को निकाली गई अधिसूचना में टीआरएल के आगे संताली लिख दिया गया। स्पष्ट है कि विश्वविद्यालय की ओर से बहाली की प्रक्रिया में गुपचुप तरीके से बड़ा खेल कर दिया गया।
Jamshedpur women’s University : क्या कहती है यूजीसी और झारखंड सरकार की नियमावली
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(यूजीसी) की नियमावली के अनुसार टीआरएल और संथाली को अलग-अलग विषय के रूप में मान्यता दी गगई है। यूजीसी की लिस्ट में जहां संथाली विषय की क्रमांक संख्या 95 है। वहीं टीआरएल को क्रमांक संख्या 70 पर रखा गया है। झारखंड सरकार के उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग की 21 फरवरी 2024 की अधिसूचना में भी संताली (क्रमांक 33) और टीआरएल (क्रमांक 36) अलग-अलग विषय हैं। जाहिर है कि टीआरएल के अंतर्गत संताली भाषा शामिल नहीं है।
टीआरएल के तहत हो, कुड़माली, खड़िया, कुड़ुख, मुंडारी, खोरठा, नागपुरी और पंच परगनियां भाषाएं ही हैं। इस तरह विश्वविद्यालय ने टीआरएल के नाम पर संताली उम्मीदवार को साक्षात्कार के लिए बुलाकर दूसरी जनजातीय व क्षेत्रीय भाषाओं का हक मार लिया।
वीमेंस यूनिवर्सिटी ने यह हकमारी तब की है जबकि जनसंख्या के हिसाब से जमशेदपुर के आसपास टीआरएल भाषा बोलने वाली छात्राओं की संख्या कहीं ज्यादा है। ऐसा लगता है कि विश्वविद्यालय अधिकारी या तो नियमावली को पढ़ नहीं रहे या पढ़कर भी उसका अनुपालन जरूरी नहीं मानते।