जामताड़ा / नई दिल्ली : नई दिल्ली के दक्षिण-पश्चिम जिले की साइबर पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई में तीन कुख्यात साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है, जो दिल्ली जल बोर्ड के प्रतिनिधि बनकर लोगों को ठग रहे थे। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान झारखंड के जामताड़ा निवासी रवि मंडल, देवघर निवासी रमेश कुमार मंडल और गिरिडीह निवासी महेंद्र कुमार मंडल के रूप में हुई है। इनके कब्जे से 13 स्मार्टफोन, एक टैब, और ठगी में इस्तेमाल किया गया कॉलिंग नंबर बरामद किया गया है।
नई दिल्ली के डीसीपी सुरेंद्र चौधरी ने बताया कि 12 मई को, आरके पुरम निवासी लक्ष्मण अग्रवाल को एक संदेश प्राप्त हुआ, जिसमें प्रेषक ने खुद को दिल्ली जल बोर्ड का अधिकारी बताया। संदेश में कहा गया कि उनकी वाटर मीटर की रीडिंग अपडेट नहीं होने के कारण उनके पानी का कनेक्शन उस रात 8.30 बजे काट दिया जाएगा। संदेश में दिए गए नंबर पर संपर्क करने पर, कॉलर ने लक्ष्मण को दिल्ली जल बोर्ड का एक एप डाउनलोड करने के लिए कहा, ताकि मीटर रीडिंग स्वचालित रूप से अपडेट हो सके। कॉलर ने उन्हें 12 रुपये का भुगतान करने को कहा। विश्वास में आकर लक्ष्मण ने एप डाउनलोड किया और अपनी बैंकिंग जानकारी दर्ज की, लेकिन भुगतान सफल नहीं हुआ। बाद में उन्हें पता चला कि उनके एसबीआई खाते से बिना उनकी सहमति के कई ट्रांजेक्शन के माध्यम से 38,161 रुपये की निकासी हो चुकी थी।
शिकायत पर साइबर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की। तकनीकी विश्लेषण के आधार पर, कॉलिंग नंबर का स्थान झारखंड में पाया गया, लेकिन नंबर ज्यादातर समय बंद रहता था। इसके बाद जांच टीम ने तकनीकी निगरानी के आधार पर झारखंड और आसपास के राज्यों में छापेमारी की। संदिग्ध का लोकेशन दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल) में पाया गया। राष्ट्रीय उच्च पथों पर कई सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण किया गया। सात दिनों तक धनबाद, दुर्गापुर, जामताड़ा, देवघर और अन्य क्षेत्रों में लगातार छापेमारी के बाद, तीनों आरोपियों को दुर्गापुर से गिरफ्तार कर लिया गया। उनके कब्जे से 13 स्मार्टफोन, एक टैब, और ठगी में इस्तेमाल किया गया। कॉलिंग नंबर बरामद किया गया।
इस तरह करते थे ठगी
पूछताछ में पता चला कि आरोपी दिल्ली जल बोर्ड के नाम पर वाटर कनेक्शन बिल अपडेट करने का झांसा देकर लोगों को ठगते थे। वे पीड़ितों को संदेश भेजते थे और फिर फोन कॉल पर बात करते थे। कॉल के दौरान, वे एक एपीके फाइल (मैलिशियस सॉफ्टवेयर) भेजते थे और पीड़ितों को 12 रुपये का मामूली भुगतान करने के लिए कहते थे। जब पीड़ित अपनी बैंकिंग जानकारी दर्ज करते, तो आरोपी उनके बैंक खाते तक पहुंच बनाकर पैसे को विभिन्न म्यूल खातों और थर्ड-पार्टी एप में ट्रांसफर कर लेते थे। वे फर्जी सिम और म्यूल खाते इस्तेमाल करते थे।
बरामद मोबाइल फोनों में दिल्ली जल बोर्ड के ग्राहकों की जानकारी वाली एक्सेल शीट, ठगी के लिए बनाए गए एपीके फाइल्स और क्रेडिट कार्ड/सीवीवी/पासवर्ड जैसी गोपनीय बैंकिंग जानकारी मिली। जांच में बरामद डिवाइसों के विश्लेषण से पता चला कि 35 एनसीआरपी शिकायतें इन डिवाइसों में चल रहे नंबरों से जुड़ी हैं, जिनमें से 14 शिकायतें इस मामले में इस्तेमाल किए गए कॉलिंग नंबर से संबंधित हैं।
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