धनबाद : झारखंड के धनबाद जिले के झरिया स्थित फुलरीबाग इलाके में एक बार फिर भू-धंसान की बड़ी घटना सामने आई है। इस हादसे में सड़क किनारे खड़ी एक 407 वाहन अचानक बनी गहरी गोफ में समा गई। घटना के बाद इलाके में अफरा-तफरी मच गई और लोगों में भारी दहशत का माहौल है। यह इलाका झरिया के उन हिस्सों में आता है, जो भूमिगत आग और गैस रिसाव की वजह से लंबे समय से खतरे में हैं।
साल 2017 में भी हो चुकी है जानलेवा दुर्घटना, बाप-बेटे की गई थी जान
स्थानीय लोगों के अनुसार, जहां यह ताजा भू-धंसान हुआ है, वहीं वर्ष 2017 में एक दर्दनाक हादसा हो चुका है। उस समय एक बाप और बेटे की जमीन में समा जाने से मौके पर ही मौत हो गई थी। इसके बावजूद अब तक न तो बीसीसीएल (Bharat Coking Coal Limited) और न ही जिला प्रशासन ने स्थायी समाधान की दिशा में कोई ठोस कदम उठाया है।
पुलिस मौके पर पहुंची, लोगों को खतरनाक क्षेत्र से हटाया गया
घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रित किया। आक्रोशित लोगों को शांत कर खतरनाक स्थल की ओर जाने से मना किया गया। भू-धंसान के बाद जमीन पर बड़ी दरारें और गहरी गोफ देखी गईं, जो इस क्षेत्र की भयावह स्थिति को दर्शाती हैं।
स्थानीयों ने उठाई पुनर्वास की मांग, प्रशासन पर लापरवाही का आरोप
फुलरीबाग क्षेत्र के निवासी लगातार भूमिगत आग, गैस रिसाव और भू-धंसान की घटनाओं के बीच असुरक्षित जीवन जीने को मजबूर हैं। उनका आरोप है कि बीसीसीएल, आउटसोर्सिंग कंपनियों और प्रशासन की लापरवाही के चलते उनकी जान हर पल खतरे में है। स्थानीयों ने सरकार से पुनर्वास नीति के तहत सुरक्षित स्थानों पर विस्थापन की मांग की है।
मुख्य सचिव के दौरे के कुछ घंटे बाद ही हुई घटना
गौरतलब है कि राज्य की मुख्य सचिव अलका तिवारी ने केंद्र सरकार की झरिया मास्टर प्लान के तहत झरिया क्षेत्र का दौरा किया था। उन्होंने जिला प्रशासन और बीसीसीएल के साथ बैठक कर अग्नि प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर बसाने को लेकर निर्देश दिए थे। लेकिन उनके दौरे के कुछ ही घंटे बाद यह गंभीर घटना सामने आ गई, जो प्रशासनिक तैयारियों पर सवाल खड़े करती है।
जनहानि टली लेकिन खतरे का संकेत स्पष्ट
हालांकि इस घटना में कोई जनहानि नहीं हुई है, लेकिन यह आने वाले बड़े खतरे का स्पष्ट संकेत दे रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि वे रोजाना भय के साये में जी रहे हैं और उन्हें नहीं पता कि कब जमीन धंस जाए। जब तक कोई बड़ी दुर्घटना न हो, तब तक सरकार और बीसीसीएल गंभीरता नहीं दिखाते।
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