धनबाद: Jharia Master Plan: झरिया कोलफील्ड में प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए नया मास्टर प्लान बनाया जाएगा। यह पहल उन लोगों को राहत देने का काम करेगी जो लंबे समय से भूमिगत आग और खदानों में हो रहे हादसों से जूझ रहे हैं। सरकारी सूत्रों के अनुसार, प्रभावित लोगों को अन्य स्थानों में बसाने और राहत सामग्री उपलब्ध कराने के लिए 6000 करोड़ फंड का आवंटन किया है।
क्या था पूर्व का मास्टर प्लान
झरिया का पहला मास्टर प्लान (Jharia Master Plan) 12 अगस्त 2009 को सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया था, जो 12 वर्षों यानी अगस्त 2021 तक प्रभावी रहा। इस योजना में लगभग 7,112 करोड़ रुपये का निवेश किया गया और प्रभावित लोगों के पुनर्वास और आग प्रबंधन जैसे मुद्दों को समाहित किया गया।
595 स्थानों का हुआ चिन्हांकन, कम हुए प्रभावित क्षेत्र
झरिया मास्टर प्लान के तहत 595 स्थानों का चिन्हांकन किया गया था, जो 25.70 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले थे। सितंबर 2023 तक, प्रभावित क्षेत्र में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है:
• राष्ट्रीयकरण से पहले: 77 स्थानों में आग लगी थी
• वर्तमान स्थिति: 67 स्थानों में 17.32 वर्ग किमी, जो अब घटकर 27 स्थानों में केवल 1.8 वर्ग किमी रह गया है
1916 से शुरू हुआ आग का सिलसिला, राष्ट्रीयकरण के बाद शोध में तेजी
झरिया कोलफील्ड में पहला आग का मामला 1916 में सामने आया था, जो साल दर साल ओवरबर्डेन डेब्रिस में फैलता गया। राष्ट्रीयकरण से पहले, यह क्षेत्र निजी कंपनियों के कब्जे में था और तब केवल लाभ-लक्ष्य से खदानें संचालित की जाती थीं।
भारत व पोलैंड के विशेषज्ञों ने किया था अध्ययन
राष्ट्रीयकरण के बाद 1978 में पोलैंड और भारत के विशेषज्ञों की टीम ने आग के मामलों का अध्ययन किया। रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि बीसीसीएल की 41 खदानों में 77 स्थानों पर आग लगी है। इसके आधार पर सरकार ने 1996 में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया और 1999 में पहला मास्टर प्लान बनाया, जिसका 2004 में संशोधन और अद्यतन किया गया।
107 में 43 मिलियन टन निकाला गया कोयला
सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, झरिया में लगभग 107 मिलियन टन कोयले का भंडार है, जिसमें से जून 2023 तक लगभग 43 मिलियन टन कोयला निकाला गया है, जिसका मूल्य लगभग 14,000 करोड़ रुपये है।