रांची : झारखंड में नई सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री ने युवाओं को आश्वस्त किया था कि बहुत जल्द झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) और अन्य आयोगों का परीक्षा कैलेंडर जारी किया जाएगा। लेकिन पांच महीने बीत जाने के बाद भी यह वादा सिर्फ घोषणा बनकर रह गया है। सरकार की ओर से न तो कोई समय-सीमा तय की गई है और न ही कोई आधिकारिक सूचना जारी हुई है। इससे लाखों युवाओं के मन में असमंजस और निराशा का माहौल है। इसी मुद्दे को लेकर मंगलवार को झारखंड विधानसभा में जमशेदपुर पूर्वी की विधायक पूर्णिमा साहू ने जोरदार तरीके से सवाल उठाए।
आखिर कब तक इंतजार करेंगे युवा?
विधानसभा सत्र के दौरान विधायक पूर्णिमा साहू ने सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि, “सरकार ने परीक्षा कैलेंडर जारी करने का वादा किया था, लेकिन युवाओं को सिर्फ भरोसे में रखकर पांच महीने निकाल दिए। आखिर ये परीक्षा कैलेंडर कब तक जारी होगा? क्या सरकार युवाओं के भविष्य से खेलने का काम कर रही है?”
सरकार की कार्यशैली पर गंभीर आरोप
पूर्णिमा साहू ने केवल परीक्षा कैलेंडर की देरी तक सीमित न रहते हुए सरकार को जेएसएससी की संयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा (CGL) और उसकी पुनर्परीक्षा में बार-बार सामने आ रहे पेपर लीक मामलों पर भी घेरा। उन्होंने कहा कि, “एक के बाद एक पेपर लीक की घटनाएं साबित करती हैं कि सरकार न तो परीक्षा प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित कर पा रही है और न ही दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने में सक्षम है। इससे न केवल युवाओं का भविष्य खतरे में है, बल्कि सरकार की नीयत और कार्यक्षमता भी संदेह के घेरे में आ चुकी है।”
CBI जांच और दोषियों को कड़ी सजा की मांग
विधायक पूर्णिमा साहू ने सदन में स्पष्ट रूप से पेपर लीक मामलों की सीबीआई जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि राज्य एजेंसियां बार-बार असफल हो रही हैं। ऐसे में अब केवल केंद्रीय एजेंसी की जांच ही इन मामलों को सुलझा सकती है। उन्होंने कहा, “सरकार को अगर वास्तव में युवाओं की चिंता है तो उसे सीबीआई जांच की सिफारिश करनी चाहिए, ताकि असली दोषियों को पकड़कर सख्त सजा दी जा सके और भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर पूरी तरह रोक लगे।”
सरकार का रवैया ढुलमुल : पूर्णिमा
पूर्णिमा साहू ने विधानसभा में यह भी कहा कि लगातार पेपर लीक और परीक्षा कैलेंडर की देरी से न केवल युवाओं का भरोसा टूट रहा है, बल्कि उनकी मेहनत भी बेकार जा रही है। उन्होंने कहा, “सरकार का यह ढुलमुल रवैया युवाओं के भविष्य के साथ बड़ा मज़ाक है। लाखों युवाओं का करियर अधर में लटका हुआ है, और सरकार तमाशबीन बनी हुई है।”