कमरे के बाहर अमिताभ बच्चन की आवाज सुनाई दे रही थी। अंदर पहुंचा तो देखा गुरु टीवी पर नजरें गड़ाये हुए हैं। आहट का अहसास होने पर वह पीछे मुड़े। सिर उठाकर देखा और फिर उनकी नजरें स्क्रीन पर टिक गईं। गुरु का अभिवादन करते हुए अपनी तरफ से पूछा- इतने ध्यान से कौन सी फिल्म देख रहे हैं ? गुरु ने उत्तर में उल्टा सवाल दाग दिया। कहा-अगर फिल्म का नाम तुम बता दो तो बदले में अच्छी चाय मैं पिला देता हूं। थोड़ी देर फिल्म देखने के बाद आखिरकार हार मान ली। जवाब दिया- गुरु फिल्म तो पहले देखी है लेकिन नाम याद नहीं आ रहा है।
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गुरु शायद ऐसे ही प्रतिउत्तर का इंतजार कर रहे थे। कुर्सी से उठे और किचन की तरफ बढ़ते हुए बोले-अरे यार, बड़ी चर्चित फिल्म है ‘काला पत्थर।’ इस बीच गुरु आंखों से ओझल हो गये थे लेकिन उनकी आवाज कानों तक साफ-साफ आ रही थी। बोलना जारी था- वर्ष 1979 में आई इस फिल्म का निर्देशन यश चोपड़ा ने किया था। वनांचल में रहते हुए तुम इसे कैसे भूल सकते हो? यहां तो सारा खेल ही काले पत्थर का है। गुरु की बात बिल्कुल जायज थी लेकिन इसमें छिपा संदेश समझ नहीं आ रहा था।
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इसी उधेड़बुन के बीच गुरु हाथ में पानी का ग्लास लेकर एक बार फिर कमरे में प्रकट हो गए थे। गुरु की पहेली को समझने के लिए सीधे सवाल की जरूरत थी। लिहाजा, बेझिझक सीधा पूछ लिया। गुरु! काले पत्थर का कोई नया खेल आया है क्या मार्केट में? प्रश्न पूरा होते ही गुरु का चेहरा कुटिल मुस्कान से भर गया। बोले-तुम हमेशा अपने मतलब की बात खोजने में लगे रहते हो।
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बहरहाल, अब तुमने पूछ ही लिया है तो सुनो, इस बार खबर लौह अयस्क की खान वाले मंडल से है। पता चला है कि लंबे समय से इलाके में हरि गान कर रहे एक बड़े साहब अपना आशियाना बनवा रहे हैं। निर्माण के लिए उन्हें काले पत्थर की जरूरत है। सूत्र दावा करते हैं कि साहब पद पर रहते हुए पत्थर खरीद का खर्च वहन नहीं करना चाहते। लिहाजा, अपने मातहतों से अलग-अलग मालिकों तक संदेश भिजवा रहे हैं।
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सुना है हुकूम बजाते हुए कुछ गाड़ियां मुकाम तक भी पहुंचाई गई हैं। अब बताने वाले कह रहे हैं कि पर्याप्त सप्लाई के बावजूद डिमांड कम नहीं हो रही। लिहाजा पत्थर उद्योग में लगे कुछ पूंजीपतियों के पसीने छूट रहे हैं। मौसम गर्मी का है, लिहाजा करीबियों को पसीने का कारण भी नहीं बता पा रहे। बात पूरी करते हुए गुरु फिर किचन की ओर बढ़ चले, शायद गर्मी में चाय पिलाये बगैर वह अतिथि को विदा नहीं करना चाहते थे।
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