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Jharkhand Election: JMM ने राष्ट्रपति से की अपील, हेमंत सोरेन के हेलीकॉप्टर को उड़ान की अनुमति न मिलने पर उठाए सवाल

4 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी के गढ़वा और चाईबासा में कार्यक्रमों के चलते नो-फ्लाई जोन घोषित किया गया था। इसी के चलते मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की चुनावी सभा में देरी हुई।

by Reeta Rai Sagar
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नई दिल्ली : झारखंड में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर एक नया विवाद सामने आया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने अपने स्टार प्रचारकों के साथ समान व्यवहार सुनिश्चित करने की मांग को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से हस्तक्षेप की अपील की है। JMM का आरोप है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के कारण मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हेलीकॉप्टर को उड़ान भरने की अनुमति नहीं दी गई, जिससे उन्हें करीब डेढ़ घंटे तक इंतजार करना पड़ा।

क्या है पूरा मामला?

पार्टी प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने राष्ट्रपति को भेजे गए पत्र में लिखा है कि 4 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी के गढ़वा और चाईबासा में कार्यक्रमों के चलते नो-फ्लाई जोन घोषित किया गया था। इसी के चलते मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की चुनावी सभा में देरी हुई। उन्होंने कहा कि सोरेन दोपहर 1:45 बजे पश्चिमी सिंहभूम के गुदरी में सभा कर रहे थे और 2:25 बजे सिमडेगा के बाजार टांड में दूसरी सभा के लिए रवाना होने वाले थे।

भट्टाचार्य का दावा है कि प्रधानमंत्री के चाईबासा आगमन के मद्देनजर सुरक्षा प्रोटोकॉल का हवाला देते हुए चुनाव आयोग ने 50 किलोमीटर के दायरे में 15 मिनट के लिए नो-फ्लाई जोन घोषित किया था, लेकिन हेमंत सोरेन के हेलीकॉप्टर को अनुमति देने में डेढ़ घंटे तक का विलंब हुआ।

“सभी प्रचारकों को मिले समान अधिकार”

JMM ने अपने पत्र में कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एक आदिवासी समुदाय से आते हैं और उनके साथ यह व्यवहार उचित नहीं है। उन्होंने राष्ट्रपति मुर्मू को इस मुद्दे पर ध्यान देने का अनुरोध करते हुए लिखा, “आप भी एक आदिवासी समुदाय से हैं और एक लंबी संघर्ष यात्रा के बाद देश के सर्वोच्च पद पर पहुंची हैं। हम उम्मीद करते हैं कि आप आदिवासी जनप्रतिनिधियों को समान अधिकार दिलाने में मदद करेंगी।”

प्रधानमंत्री मोदी का दौरा बना विवाद का कारण

प्रधानमंत्री मोदी को दोपहर 2:40 बजे चाईबासा पहुंचना था। गुदड़ी से चाईबासा की दूरी लगभग 80 किलोमीटर और सिमडेगा 90 किलोमीटर दूर है। JMM का कहना है कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक और स्वायत्त संस्था है और उसने सोरेन के दौरे की मंजूरी पहले ही दे दी थी। लेकिन प्रधानमंत्री की सुरक्षा के नाम पर इस तरह के प्रतिबंधों ने मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में व्यवधान पैदा कर दिया।

JMM का आरोप: “सुरक्षा के नाम पर लगाया गया था प्रतिबंध”

JMM प्रवक्ता का कहना है कि सुरक्षा कारणों का हवाला देकर 50 किलोमीटर के दायरे में केवल 15 मिनट का नो-फ्लाई जोन तय था, लेकिन उनके स्टार प्रचारक और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को डेढ़ घंटे तक प्रतीक्षा करवाई गई। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि चुनाव आयोग की अनुमति के बावजूद प्रधानमंत्री के दौरे के कारण यह प्रतिबंध उचित नहीं था।

निष्पक्ष चुनावी माहौल की मांग

राष्ट्रपति से आग्रह करते हुए पत्र में JMM ने मांग की है कि वे सभी स्टार प्रचारकों को समान संवैधानिक सुरक्षा और अधिकार प्रदान करने के लिए सुनिश्चित करें। पार्टी का कहना है कि इस प्रकार के व्यवधान आदिवासी समुदाय से आए नेताओं और उनके समर्थकों को हतोत्साहित करते हैं।

निष्कर्ष

JMM ने राष्ट्रपति से निवेदन किया है कि वे इस मामले में दखल देकर झारखंड के चुनावी माहौल को निष्पक्ष और समान बनाए रखने में सहायता करें। पार्टी का मानना है कि सभी प्रचारकों को बिना किसी भेदभाव के अपने कार्यक्रम करने की आजादी मिलनी चाहिए ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सम्मान बरकरार रहे।

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