अवकाश के बावजूद बैठी विशेष अदालत ने सरकार से पूछा, आदेश क्यों बदला
सरकार की दलील, खुफिया सूचना के बाद रविवार को आदेश में किया गया बदलाव
रांची : झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन व जस्टिस अनुभा रावत चौधरी की खंडपीठ में झारखंड स्नातक स्तरीय संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा को लेकर इंटरनेट सेवा बंद करने के विरुद्ध दाखिल याचिका पर अवकाश के बावजूद रविवार को लगातार दूसरे दिन विशेष कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि कोर्ट के आदेश के साथ सरकार ने धोखाधड़ी (फ्रॉड) की है।
अदालत ने पूछा कि जब शनिवार को सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया था कि मोबाइल इंटरनेट सेवा आंशिक रूप से बंद किया गया है तो दूसरे दिन रविवार को ब्रॉड बैंड, लीज लाइन सहित अन्य इंटरनेट सेवा बंद करने का आदेश कैसे दे दिया गया। क्या यह कोर्ट के साथ फ्रॉड नहीं है। ऐसा करना प्रथमदृष्टया आपराधिक अवमानना का मामला बनता है।
इस पर कोर्ट में मौजूद गृह सचिव वंदना डाडेल ने कोर्ट को बताया कि खुफिया सूचना के बाद रविवार को संबंधित सेवाएं बंद की गईं। इसके बाद अदालत ने राज्य सरकार और इंटरनेट प्रदाता कंपनियों को स्पष्ट किया कि कोर्ट में मामला लंबित रहने तक और भविष्य में जब तक अदालत आदेश नहीं दे, परीक्षा को लेकर राज्य में इंटरनेट सेवा बंद नहीं की जाएंगी। मामले में अगली सुनवाई 14 नवंबर को होगी।
इधर, प्रार्थी अधिवक्ता राजेंद्र कृष्ण की ओर से बताया गया कि उनके मोबाइल पर जिओ कंपनी की ओर से सूचना दी गई कि सरकार के आदेश पर इंटरनेट सेवा सुबह चार बजे से शाम साढ़े तीन बजे तक बंद रहेगी, जबकि राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि उनकी ओर से सुबह आठ बजे से दोपहर डेढ़ बजे तक ही मोबाइल इंटरनेट, ब्रॉड बैंड और लीज लाइन सहित अन्य सेवाएं बंद रखने का आदेश दिया है।
अदालत ने जिओ कंपनी के अधिकारी से पूछा कि जब सरकार ने ऐसा आदेश नहीं दिया है तो कंपनी की ओर से ऐसा मैसेज कैसे जारी किया गया है। इस पर जिओ के अधिकारी ने कहा कि गलती हो गई। अदालत ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि ऐसी गलती के लिए आपको यहां से सीधे जेल भेज दिया जाएगा। अदालत ने इस संबंध में मूल संचिका की फोटो प्रति रजिस्ट्रार जनरल के यहां रखने का निर्देश देते हुए सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया।