रांची : झारखंड में सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य सुविधाओं की दशा बदलने की तैयारी तेज़ हो गई है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में राज्य सरकार ने स्वास्थ्य सेवा सुधार को लेकर बड़ा फैसला लिया है, जिसका असर पूरे प्रदेश की जन आरोग्य व्यवस्था पर दिखेगा। हाल ही में राज्य कैबिनेट की बैठक में पारित इस प्रस्ताव के मुताबिक, बीमा योजनाओं से मिलने वाली दावा राशि का उपयोग सरकारी अस्पतालों के ढांचे को मज़बूत करने और सेवाओं का विस्तार करने में किया जाएगा।
किस योजना के तहत होगा काम?
राज्य सरकार के इस फैसले के तहत कुछ योजनाओं को शामिल किया गया है। इनमें झारखंड अबुआ स्वास्थ्य योजना, आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना, राज्य कर्मियों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना शामिल है। इन योजनाओं के तहत दावा के एवज में मिलने वाली राशि को सीधे सरकारी अस्पतालों की आय के रूप में जोड़ा जाएगा। एक आंकलन के अनुसार इससे अस्पतालों को प्रति बेड 50,000 रुपये तक की राशि प्राप्त होगी।
कितनी होगी कुल आय?
अनुमान के अनुसार, इन योजनाओं के माध्यम से सरकारी अस्पतालों को लगभग 300 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी होगी। यह राशि सीधे अस्पतालों की आधारभूत संरचना, संसाधन और मानव बल की गुणवत्ता सुधार में खर्च की जाएगी।
डॉक्टरों और नर्सों की होगी नियुक्ति
इस राशि से जहां अस्पतालों की भौतिक सुविधाएं सुधरेंगी, वहीं डॉक्टरों और नर्सों की बहाली भी की जाएगी। खास बात यह है कि बीमा राशि का 15 प्रतिशत हिस्सा अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों को प्रोत्साहन राशि के रूप में मिलेगा। इसके अलावा शेष 85 प्रतिशत राशि से विशेषज्ञ डॉक्टरों और निजी चिकित्सकों की सेवा ली जाएगी, ताकि सेवा की गुणवत्ता और विशेषज्ञता बढ़ाई जा सके।
सरकारी अस्पतालों को मिलेगा बढ़ावा
सरकार का इस प्लान को लागू करने का यह उद्देश्य है कि सरकारी अस्पतालों की स्थिति इतनी मजबूत की जाए कि वे निजी अस्पतालों से बेहतर सेवा प्रदान कर सकें। यह नीति न केवल स्वास्थ्य क्षेत्र में राजस्व का नया स्रोत बनाएगी, बल्कि सरकारी संस्थानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी अहम साबित होगी। एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि “बीमा योजनाओं से मिलने वाली राशि अब अस्पतालों को मजबूत बनाने में उपयोग होगी। इससे स्वास्थ्य सेवा में बदलाव दिखेगा और सरकारी अस्पताल आम जनता के लिए पहली पसंद बनेंगे।”