पलामू : जिले के तरहसी प्रखंड प्रमुख प्रिया कुमारी के खिलाफ चल रहे अविश्वास प्रस्ताव में एक नया मोड़ सामने आया है। झारखंड हाईकोर्ट ने इस प्रस्ताव से संबंधित मामले में सुनवाई करते हुए, 24 जनवरी तक प्रिया कुमारी और पंचायत समिति सदस्यों के वित्तीय प्रभार पर रोक लगा दी है। यह आदेश हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति दीपक रौशन ने दिया है, जो इस मुद्दे पर याचिका की सुनवाई कर रहे थे।
अविश्वास प्रस्ताव और प्रशासनिक आदेशों का विवाद
तरहसी प्रखंड प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर विवाद तब और बढ़ गया जब 20 सितंबर 2024 को पंचायती राज्य निदेशालय ने एक आदेश जारी किया। इस आदेश में प्रमुख की अनुपस्थिति में उपप्रमुख को प्रमुख की शक्तियों का प्रयोग करने का निर्देश दिया गया था। इसके एक सप्ताह बाद, 28 सितंबर 2024 को पलामू उपायुक्त ने भी एक पत्र जारी कर अजय कुमार सिंह को प्रमुख के सभी कार्यों का निष्पादन करने का आदेश दिया। प्रिया कुमारी ने इस आदेश के खिलाफ झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझते हुए 24 जनवरी 2025 तक तरहसी प्रखंड की सभी पंचायत समितियों के वित्तीय शक्तियों पर रोक लगाने का आदेश दिया। यह रोक अगले सुनवाई तक जारी रहेगी।
हाईकोर्ट का फैसला और राजनीतिक हलचल
हाईकोर्ट के इस आदेश ने तरहसी प्रखंड में चल रहे राजनीतिक विवाद को और तूल दे दिया है। जहां एक ओर प्रिया कुमारी अपने अधिकारों की रक्षा के लिए कोर्ट में पहुंची हैं, वहीं दूसरी ओर उनके विरोधी इस फैसले को लेकर असंतुष्ट हैं। उच्च न्यायालय का यह आदेश इस बात का संकेत है कि इस मामले में राजनीतिक और कानूनी बिंब का खेल तेजी से बढ़ सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि उच्च न्यायालय के इस आदेश का आगे चलकर पंचायत कार्यों और प्रमुख के अधिकारों पर क्या असर पड़ेगा। 24 जनवरी 2025 को होने वाली अगली सुनवाई तक, तरहसी प्रखंड के विकास कार्यों और वित्तीय निर्णयों में स्पष्टता का अभाव बना रहेगा।
मामले की आगे की स्थिति
झारखंड हाईकोर्ट के इस फैसले ने तरहसी प्रखंड के राजनीतिक हालात को और जटिल बना दिया है। फिलहाल, 24 जनवरी 2025 तक वित्तीय शक्तियों पर रोक के चलते इस मुद्दे का समाधान होने की उम्मीद है। प्रशासनिक स्तर पर यह स्थिति जिले के विकास कार्यों में व्यवधान डाल सकती है, खासकर जब पंचायतों को वित्तीय निर्णयों का निष्पादन करने की अनुमति नहीं होगी।
तरहसी प्रखंड के लोगों और पंचायत सदस्यों को अब यह उम्मीद हैं कि उच्च न्यायालय की अगली सुनवाई में यह विवाद सुलझ सकता है।