चाईबासा: झारखंड में 10 जून से 15 अक्टूबर तक नदियों से बालू उठाव पर NGT (National Green Tribunal) की सख्त रोक के बावजूद चाईबासा के गुदड़ी और गोइलकेरा इलाके में धड़ल्ले से अवैध बालू का उत्खनन जारी है। मानसून की बारिश से नदियों में फिर से बालू भर गया है, जिसका फायदा उठाकर स्थानीय बालू माफिया सक्रिय हो गए हैं।
हर दिन 40 से 50 ट्रैक्टर बालू गुदड़ी और गोइलकेरा क्षेत्र के नदी घाटों से उठाया जा रहा है। यह कार्य अहले सुबह से ही शुरू हो जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि खनन विभाग की टीम जब तक क्षेत्र में पहुंचती है, उससे पहले ही बालू तस्करों को इसकी भनक लग जाती है और वे ट्रैक्टरों को घाटों से हटा लेते हैं।
Task Force भी इस अवैध कारोबार को रोकने में नाकाम साबित हो रही है। ट्रैक्टर चालक अब ऐसे रास्तों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जहां वाहन बारिश में भी नहीं फंसें। नदी घाटों से निकला बालू अब चक्रधरपुर तक पहुंचाया जा रहा है, जहां माफिया इसे छोटे-छोटे स्टॉक में बेच रहे हैं।
फिलहाल, एक ट्रैक्टर बालू की कीमत 8 से 10 हजार रुपये और टेंपो की कीमत 2 हजार रुपये तक पहुंच गई है। बालू के दाम बढ़ने से घर बनाने वालों की कमर टूट रही है। कई लोगों ने निर्माण कार्य फिलहाल रोक दिया है। इससे लेबरों की रोज़ी-रोटी पर सीधा असर पड़ा है और पलायन की नौबत आ गई है।
ग्रामीण इलाकों में चल रही पीएम और अबुआ आवास जैसी योजनाएं भी प्रभावित हो रही हैं। समय पर बालू नहीं मिलने से लाभुकों को मकान निर्माण में देरी हो रही है, जिससे उन्हें प्रशासन के दबाव का भी सामना करना पड़ रहा है।
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