Jamshedpur (Jharkhand) : अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के विभिन्न समुदायों को जाति प्रमाण पत्र निर्गमन में आ रही कठिनाइयों को लेकर जमशेदपुर पूर्वी की विधायक पूर्णिमा साहू ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है। विधायक ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि पूर्ववर्ती व्यवस्था को पुनः लागू किया जाए, ताकि खतियान उपलब्ध नहीं होने पर भी मूलवासी परिवारों को प्रमाण पत्र से वंचित न रहना पड़े।
विधायक पूर्णिमा साहू ने पत्र में उल्लेख किया कि पासी, कालिंदी, दुसाध, शौणिडक (सुढ़ी), बाउरी, केंद्रीय मुखी, तेली साहू और तुरी समाज के लोग लगातार शिकायत कर रहे हैं कि उन्हें जाति प्रमाण पत्र बनवाने में भारी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं।
उन्होंने कहा कि यह समुदाय कई पीढ़ियों से झारखंड में निवासरत है और अधिकांशतः भूमिहीन है। वर्तमान व्यवस्था में खतियान की अनिवार्यता के कारण ये समुदाय अपने संवैधानिक अधिकारों से वंचित हो रहे हैं। इससे न तो बच्चों को शिक्षा और छात्रवृत्ति का लाभ मिल पा रहा है और न ही प्रतियोगी परीक्षाओं व सरकारी नौकरियों में आरक्षण का फायदा।
विधायक ने कहा कि पहले स्थानीय मुखिया या पंजीकृत प्रतिनिधियों की अनुशंसा और स्थानीय जांच के आधार पर जाति प्रमाण पत्र निर्गत होते रहे हैं, लेकिन अब यह प्रक्रिया बाधित हो गई है। खासकर टाटा लीज क्षेत्र के हजारों परिवार खतियान न होने से प्रमाण पत्र से वंचित हैं।
उन्होंने चेताया कि यह स्थिति कई समुदायों के भविष्य को संकट में डाल रही है और इससे सामाजिक असंतोष बढ़ सकता है। विधायक ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र के साथ विभिन्न समाजों की समितियों से प्राप्त पत्रों की प्रतियां भी संलग्न की हैं।
अंत में उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि संबंधित विभागों को दिशा-निर्देश जारी कर पूर्ववर्ती व्यवस्था को बहाल किया जाए, ताकि मूलवासी परिवारों को जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने में आसानी हो।