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Jharkhand Liquor Scam: उत्पाद विभाग के अधिकारियों और निजी कंपनियों ने मिलकर रची थी घोटाले की साजिश

शराब घोटाले में गिरफ्तार वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे और संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह को एसीबी 28 जून से पहले रिमांड पर लेकर पूछताछ कर सकती है।

by Reeta Rai Sagar
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रांची: Jharkhand Liquor Scam: झारखंड में सामने आए बहुचर्चित शराब घोटाले की एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। जांच में यह बात सामने आई है कि उत्पाद विभाग के अधिकारियों और निजी कंपनियों ने मिलकर इस घोटाले की साजिश रची थी। इसमें तत्कालीन उत्पाद सचिव और जेएसबीसीएल (JSBCL) के प्रबंध निदेशक रहे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है।

गारंटी राशि की भी नहीं हुई वसूली
सूत्रों के मुताबिक, नीति निर्माण से लेकर ठेकों के आवंटन, वित्तीय नियमन और निगरानी तक का पूरा नियंत्रण चौबे के पास था। उनके कार्यकाल में एमजीआर की कोई समीक्षा नहीं हुई और न ही किसी भी महीने की बिक्री में कमी के चलते गारंटी राशि वसूलने का कोई प्रयास किया गया।

गहरी साजिश का संकेत
जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि राज्य के खजाने को नुकसान पहुंचाने के लिए रची गई एक सुनियोजित साजिश थी। एसीबी अब इस नेटवर्क की तह तक जाकर दोषियों की जवाबदेही तय करने की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रही है। इस खुलासे के बाद राज्य के राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है।

रिमांड पर लिए जाएंगे IAS अधिकारी विनय चौबे
शराब घोटाले में गिरफ्तार वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे और संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह को एसीबी 28 जून से पहले रिमांड पर लेकर पूछताछ कर सकती है। फिलहाल चौबे की तबीयत खराब होने के कारण वे रिम्स (RIMS) में इलाजरत हैं, जिस वजह से एसीबी अभी पूछताछ से बच रही है।
गौरतलब है कि नए आपराधिक कानून के तहत अब गिरफ्तारी के 40 दिन के भीतर पुलिस रिमांड की अनुमति ली जा सकती है, जबकि पहले यह सीमा 15 दिन थी। गंभीर अपराधों (10 वर्ष से अधिक सजा वाले मामलों) में यह सीमा 60 दिन तक बढ़ा दी गई है। इस केस में एसीबी ने पुराने और नए दोनों कानूनों के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।

9 महीने में 200 करोड़ का घाटा, फिर भी कार्रवाई नहीं
एसीबी की रिपोर्ट के अनुसार, महज 9 महीनों में शराब विभाग को 200 करोड़ रुपये से अधिक का घाटा हुआ, बावजूद इसके, गारंटी की राशि वसूलने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। विभाग ने केवल प्लेसमेंट एजेंसियों को डिमांड नोटिस भेजकर अपनी जिम्मेदारी निभा दी, लेकिन बैंकिंग चैनलों से वसूली या नकदीकरण की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई।

यह दर्शाता है कि अधिकारियों को पहले से पता था कि गारंटी की राशि वसूली योग्य नहीं है और उन्होंने निजी कंपनियों को जानबूझकर लाभ पहुंचाया।

रिम्स में दी जा रही हैं किडनी की बीमारी संबंधी दवाएं
फिलहाल रांची के रिम्स अस्पताल में भर्ती विनय चौबे की हालत स्थिर बनी हुई है। उन्हें पहले से चल रही किडनी संबंधी बीमारी के लिए दवाएं दी जा रही हैं। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक, जांच रिपोर्ट आने के बाद जरूरत पड़ने पर दवाओं में बदलाव किया जाएगा। चौबे के इलाज और स्वास्थ्य निगरानी के लिए एक विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम गठित की गई है, जिसमें मेडिसिन, नेफ्रोलॉजी और कार्डियोलॉजी विभागों के वरिष्ठ डॉक्टर शामिल हैं।

जेल मैनुअल का हवाला दे पत्नी को मिलने से रोका
शुक्रवार को विनय चौबे की पत्नी उनसे मिलने रिम्स पहुंची थीं। हालांकि वह अपने IAS पति से मिलने में सफल नहीं रहीं। अधिकारियों ने जेल मैनुअल का हवाला देते हुए उन्हें मिलने से रोक दिया। इससे एक दिन पूर्व गुरुवार को भी उन्हें मिलने की अनुमति नहीं दी गई थी। झारखंड शराब घोटाले की जांच अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। एसीबी की कार्रवाई से यह संकेत मिल रहा है कि दोषियों को जल्द ही न्याय के कटघरे में लाया जाएगा। इस मामले में सरकार की साख और व्यवस्था की पारदर्शिता भी दांव पर लगी हुई है।

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