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Jharkhand liquor scam : झारखंड शराब घोटाला मामसे में छत्तीसगढ़ कनेक्शन आया सामने, कैसे रची गई साजिश, डायरी ने खोले कई राज

by Anand Mishra
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Ranchi (Jharkhand) : झारखंड में 38 करोड़ रुपये से अधिक के शराब घोटाले की जांच में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने अपनी पड़ताल और तेज कर दी है। इस कड़ी में एसीबी ने छत्तीसगढ़ के रायपुर के एक बड़े शराब कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया समेत कई अन्य लोगों को नोटिस भेजा है।

तत्कालीन उत्पाद सचिव से साठगांठ का आरोप

एसीबी झारखंड की प्रारंभिक जांच में यह तथ्य सामने आया है कि सिद्धार्थ सिंघानिया की महत्वपूर्ण भूमिका तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे के साथ मिलकर झारखंड की शराब नीति बनवाने में थी। आरोप है कि इसके बाद सिंघानिया ने सचिव और अन्य उच्चाधिकारियों से मिलीभगत कर चहेती प्लेसमेंट एजेंसियों का चयन करवाया।

11 जून को पूछताछ के लिए बुलाया गया

एसीबी ने सिद्धार्थ सिंघानिया को नोटिस जारी कर 11 जून को सुबह 10:30 बजे तक एसीबी मुख्यालय में जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि सिद्धार्थ सिंघानिया छत्तीसगढ़ में हुए बड़े शराब घोटाले से जुड़े मामले में भी संदेह के घेरे में रहा है।

ED की छापेमारी में मिली डायरी ने खोला राज

दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अक्तूबर 2024 में छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच के दौरान सिद्धार्थ सिंघानिया के ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस छापेमारी में ईडी को एक महत्वपूर्ण डायरी मिली थी। इस डायरी में झारखंड के शराब कारोबार में सिद्धार्थ सिंघानिया की गहरी संलिप्तता की जानकारी उजागर हुई थी। डायरी में छत्तीसगढ़ की तर्ज पर झारखंड के शराब कारोबार पर भी अपना दबदबा स्थापित करने की विस्तृत योजना दर्ज थी। इतना ही नहीं, इस डायरी में बसंत सोरेन और योगेंद्र तिवारी जैसे व्यक्तियों को मुख्य ‘शत्रु’ के तौर पर दर्शाया गया था। डायरी में पंजाब और हरियाणा से आने वाली शराब पर नियंत्रण स्थापित करने की भी बातें लिखी गई थीं।

चहेती कंपनियों को फायदा पहुंचाने की साजिश

घोटाले की परतें खोलते हुए यह भी सामने आया है कि मैनपावर सप्लाई करने वाली प्लेसमेंट एजेंसी के लिए निविदा की शर्तों को इस प्रकार से रखा गया था कि कुछ खास कंपनियों को ही फायदा हो सके। 310 दुकानों के लिए ईएमडी राशि 49.67 लाख रुपये और बैंक गारंटी के तौर पर 11.28 करोड़ रुपये की शर्त रखी गई। इसके अलावा, निविदा में भाग लेने वाली कंपनियों के लिए सरकारी कार्य में दो साल में चार करोड़ रुपये के काम का अनुभव होना अनिवार्य किया गया। इस तरह, छत्तीसगढ़ में शराब कारोबार से जुड़ी कंपनियों जैसे सुमित फैसिलिटीज, इगल हंटर सॉल्यूशंस और ए टू जेड इंफ्रा को झारखंड में ठेका दिलाया गया। बाद में इन सभी कंपनियों के मालिकों ने सिद्धार्थ सिंघानिया को मैनपावर सप्लाई का काम सौंप दिया। चौंकाने वाली बात यह है कि सिंघानिया ने नए कर्मचारियों को रखने के बजाय पुराने ठेकेदारों के अधीन शराब की दुकानों में काम कर रहे लोगों को ही दोबारा काम पर रख लिया।

बिचौलिए की भूमिका में था सिंघानिया

झारखंड और छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले को लेकर ईडी की जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया पूरे शराब सिंडिकेट में एक महत्वपूर्ण बिचौलिए की भूमिका निभा रहा था। उसकी डायरी से सिंडिकेट की कई अंदरूनी बातें सामने आई थीं। छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट के साथ मिलकर शराब नीति में हेरफेर कर दोनों राज्यों में शराब कारोबार पर कब्जा करने की साजिश के तहत छत्तीसगढ़ में भी सात सितंबर 2024 को एसीबी ने एफआईआर दर्ज की थी। इस मामले में तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय चौबे, उत्पाद विभाग के संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह व अन्य अफसरों के साथ छत्तीसगढ़ के आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा समेत कई लोगों को आरोपी बनाया गया था। झारखंड में शराब की सप्लाई, मैनपावर और होलोग्राम बनाने वाली कंपनियों को भी इस मामले में आरोपी बनाया गया था। वर्तमान में इस पूरे मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) कर रही है।

अन्य कारोबारियों को भी नोटिस

एसीबी ने सिद्धार्थ सिंघानिया के अलावा मध्यप्रदेश के भोपाल के कारोबारी मनीष जैन और राजीव द्विवेदी को भी नोटिस भेजा है। वहीं, सुमित फैसिलिटीज के निदेशक पुणे निवासी अजीत जयसिंह राव, अमित प्रभाकर सलौंकि और सुनील मारुत्रे को भी नोटिस भेजा गया है। गौरतलब है कि सुमित फैसिलिटीज छत्तीसगढ़ में भी शराब कारोबार में सक्रिय रही थी और इस कंपनी के खिलाफ झारखंड में भी शराब की बिक्री की राशि के गबन को लेकर पहले से ही प्राथमिकी दर्ज है।

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