Ranchi : झारखंड में 2022 की उत्पाद नीति के बाद सामने आए शराब घोटाले ने पूरे विभागीय तंत्र को हिलाकर रख दिया है। इस घोटाले में फर्जी बैंक गारंटी के जरिए शराब दुकानों के लिए मैनपावर आपूर्ति करने वाली एजेंसियों को लाभ पहुंचाने का आरोप है। उत्पाद एवं मद्यनिषेध विभाग के वर्तमान सचिव मनोज कुमार पर इस मामले में विसंगतियों को छिपाने और फर्जी बैंक गारंटी देने वाली एजेंसियों को प्रश्रय देने के गंभीर आरोप लगे हैं।
घोटाले का खुलासा: फर्जी बैंक गारंटी का खेल
एसीबी की प्रारंभिक जांच में पता चला कि मेसर्स मार्शन इनोवेटिव सिक्यूरिटी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स विजन हॉस्पिटैलिटी सर्विसेज एंड कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड जैसी प्लेसमेंट एजेंसियों ने फर्जी बैंक गारंटी के आधार पर ठेके हासिल किए। इन एजेंसियों ने 2023 से फर्जी गारंटी के जरिए काम शुरू किया, जिससे सरकार को 38 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ।
मनोज कुमार की भूमिका पर सवाल
उत्पाद एवं मद्यनिषेध विभाग के सचिव मनोज कुमार पर आरोप है कि उनके कार्यकाल में इन फर्जी बैंक गारंटी की जांच नहीं की गई। जांच में पाया गया कि मनोज कुमार ने न तो न्यूनतम गारंटी राशि की समीक्षा की और न ही बकाया राशि वसूलने के लिए कोई कदम उठाया।
एसीबी की कार्रवाई और पूछताछ
एसीबी ने इस मामले में अपनी जांच का दायरा बढ़ाते हुए मनोज कुमार और पूर्व उत्पाद आयुक्त अमित प्रकाश को नोटिस जारी किया है। इन दोनों से जल्द पूछताछ होने की संभावना है। एसीबी ने पहले ही पूर्व उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे, संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह और झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (जेएसबीसीएल) के दो पूर्व महाप्रबंधकों सुधीर कुमार और सुधीर कुमार दास को गिरफ्तार कर लिया है।
जा सकती है कुर्सी
मनोज कुमार की भूमिका की गहन जांच के बाद सरकार उन्हें उत्पाद एवं मद्यनिषेध विभाग से हटा सकती है। इस घोटाले की जांच अब झारखंड से बाहर छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों तक फैल चुकी है।