जमशेदपुर : झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिला बीमारियों के लिए काफी संवेदनशील माना जाता है। यहां हर साल कोई न कोई बीमारी कहर बरपाता रहा है। अब यहां बिना बुखार के मलेरिया मरीज मिलने से हड़कंप मचा है। इसकी जांच-पड़ताल के लिए रांची से स्टेट प्रोग्राम आफिसर के नेतृत्व में आई एक टीम ने भी चिंता जाहिर कर चुकी है। दरअसल, पूर्वी सिंहभूम जिले के मुसाबनी प्रखंड के सूर्याबेड़ा गांव में मलेरिया आउटब्रेक हो चुका है। इसे लेकर गांव में विशेष शिविर आयोजित कर मरीजों की जांच-पड़ताल की गई थी जिसकी रिपोर्ट चौंकाने वाली आई है। गांव में कुल 68 लोगों का नमूना जांच के लिए लिया गया था। इसमें 17 ब्रेन मलेरिया, दो सामान्य मलेरिया व एक मिक्स मलेरिया के रोगी मिले हैं। इसमें सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि सात वैसे मरीज मिले हैं जिनके शरीर में मलेरिया से संबंधित कोई भी लक्षण नहीं हैं। वे बिल्कुल स्वस्थ हैं, लेकिन उनकी रिपोर्ट में मलेरिया की पुष्टि हुई है। टीम के सदस्यों का कहना है कि बिना लक्षण वाले मलेरिया स्वास्थ्य विभाग के लिए एक नया चुनौती बन सकता है। टीम के अनुसार, ग्रामीणों के शरीर में इम्युनिटी पावर और बाडी रेजिस्टेंस काफी अच्छा होने की वजह से उनमें मलेरिया के लक्षण दिखाई नहीं दे रहे हैं, लेकिन उनके शरीर में लंबे समय तक पैरासाइट रहता है।
बिना लक्षण वाले मरीजों का इलाज जरूरी
मलेरिया मरीजों में किसी तरह का लक्षण नहीं होना खतरनाक है। एक तो वे साइलेंट किलर की तरह लोगों के बीच मलेरिया फैलाने का काम कर सकते हैं। वहीं, दूसरा उनके लिए भी उतना ही खतरनाक है। जब उनकी तबीयत खराब होगी या फिर शरीर का इम्यूनिटी पावर कम होगा तो उनके शरीर के महत्वपूर्ण अंग जैसे ब्रेन व लिवर फेलियर भी हो सकता है। चूंकि उनके शरीर में पूर्व से ही पैरासाइट मौजूद रहता है। ऐसे मरीजों का पूर्ण इलाज जरूरी है।
कोट ::
बिना लक्षण वाले मरीजों की पहचान कर उनका इलाज जरूरी है। अन्यथा उनको काटने वाले मच्छरों से दूसरे लोगों में भी मलेरिया होने का खतरा रहता है।
– डा. आरएल अग्रवाल, पूर्व प्रोफेसर, एमजीएम।
मलेरिया के रोकथाम को लेकर हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। लोगों को भी जागरूक होने की जरूरत है। कहीं पर मरीज मिले तो इसकी शिकायत तत्काल करें।
– डा. जुझार माझी, सिविल सर्जन।