गिरिडीह : झारखंड के गिरिडीह जिले के बगोदर थाना क्षेत्र स्थित खेतको गांव के निवासी प्रवासी श्रमिक हीरामन महतो की सऊदी अरब में मृत्यु को 40 दिन हो गए, लेकिन अब तक उनका शव भारत वापस नहीं भेजा जा सका है। इसके साथ ही कंपनी द्वारा दिए जाने वाले मुआवजे की राशि का भुगतान भी लंबित है, जिससे परिवार के लोग मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान हैं। हीरामन महतो का निधन 8 दिसंबर 2024 को हुआ था। उनके परिवार में पत्नी सोमरी देवी, दो पुत्री सुनीता कुमारी, सरिता कुमारी, और दो पुत्र रामेश्वर कुमार तथा विजय कुमार हैं। परिजनों का कहना है कि वह हर दिन अपने प्रियजन के अंतिम दर्शन के लिए शव का इंतजार कर रहे हैं।
सऊदी अरब में शव वापस लाने की कोशिशें जारी
कंपनी की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाने के कारण गांववाले और मृतक के रिश्तेदार परेशान हैं। प्रवासी श्रमिकों के हितों के लिए काम करने वाले सिकंदर अली ने कहा कि उन्होंने कंपनी के अधिकारियों से शीघ्र शव वापस लाने और उचित मुआवजा प्रदान करने की मांग की है।
सिकंदर अली ने बताया कि झारखंड के गिरिडीह, बोकारो और हजारीबाग जिलों से बड़ी संख्या में लोग विदेशों में काम करने जाते हैं। ऐसे में जब इन श्रमिकों के साथ कोई हादसा होता है, तो मुआवजे का मामला कई बार उलझ जाता है, और शव महीनों तक विदेश में ही पड़ा रहता है।
प्रवासी श्रमिकों के परिजनों का दुख
प्रवासी श्रमिकों के परिवारों का कहना है कि बिना शव के उनका घर सूना पड़ा रहता है। परिजन शव के आने की उम्मीद में दिन-रात परेशान रहते हैं, लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं निकलता। ऐसे में उनकी चिंता और बढ़ जाती है।
ग्रामीणों की सरकार से अपील
गांववालों ने सरकार से अपील की है कि प्रवासी श्रमिकों के शव की जल्दी वापसी सुनिश्चित की जाए, ताकि परिवार वाले अपने प्रियजन का अंतिम संस्कार कर सकें और उनकी कठिनाई दूर हो सके। साथ ही, सरकार से मुआवजा दिलवाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं।