TARGET ON FOREIGN CYBER CRIMINALS : रांची : झारखंड पुलिस के प्रतिबिंब एप के माध्यम से साइबर अपराध पर लगातार अंकुश लगाया जा रहा है। दो साल के भीतर हजारों की संख्या में साइबर अपराधी सलाखों के पीछे पहुंचे है, लेकिन झारखंड पुलिस के DGP अनुराग गुप्ता ऐसी कामयाबी से भी खुश नहीं है, क्योंकि उनका टारगेट चीन, वियतनाम, कंबोडिया, थाईलैंड और लाओस के साइबर क्रिमिनल्स हैं, जो झारखंड में ठगी को अंजाम दे रहे हैं।
विदेशी ठग बने झारखंड में साइबर अपराध के मुख्य सूत्रधार
झारखंड पुलिस के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने स्पष्ट किया कि जामताड़ा जैसे जिलों के साइबर ठग अब उतनी बड़ी चुनौती नहीं हैं, जितनी चुनौती उन विदेशी अपराधियों से है जो चीन, वियतनाम, कंबोडिया, थाईलैंड, सिंगापुर, लाओस, हांगकांग और मिडिल ईस्ट के देशों से साइबर फ्रॉड चला रहे हैं। इनमें से अधिकांश अपराधी डिजिटल अरेस्ट, फर्जी सरकारी पहचान, केंद्र और राज्य एजेंसियों के नाम पर धमकी और इन्वेस्टमेंट स्कैम जैसे मामलों में सक्रिय हैं।
Jharkhand Police : प्रतिबिंब एप बनेगा बड़ा हथियार
प्रतिबिंब एप, जिसे झारखंड पुलिस ने साइबर क्राइम ट्रैकिंग के लिए विकसित किया है, अब विदेशी लोकेशन ट्रैकिंग की दिशा में अपग्रेड किया जा रहा है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि भले ही भारतीय सिम कार्ड विदेशों में इस्तेमाल हो रहे हों, लेकिन उनकी भौगोलिक लोकेशन को सटीकता से ट्रेस किया जा सके।
साइबर ठगी के दो वर्ग : लेबर और मास्टरमाइंड
डीजीपी ने बताया कि भारत में गिरफ्तार अधिकांश साइबर अपराधी केवल लेबर क्लास ऑपरेटिव हैं। असली मास्टरमाइंड वे विदेशी गिरोह हैं जो उन्हें दिशा-निर्देश देते हैं। जामताड़ा, जो कभी साइबर क्राइम का गढ़ माना जाता था, अब केवल छोटे स्तर की ठगी तक सीमित है।
Jharkhand Police : डिजिटल अरेस्ट और साइबर ब्लैकमेलिंग के मामले बढ़े
विदेशों में बैठे अपराधी फर्जी पुलिस अधिकारी, सरकारी संस्था और बैंकों के नाम पर लोगों को धमकाकर ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसे हथकंडों का प्रयोग करते हैं। इसके तहत फर्जी कॉल्स, दस्तावेज, फोटो, और भारतीयों की आवाज़ का इस्तेमाल किया जाता है, जबकि पूरा ऑपरेशन वियतनाम, कंबोडिया, लाओस और थाईलैंड जैसे देशों से संचालित होता है।
कबूतरबाजी के जरिए विदेश भेजे जा रहे झारखंड के युवा
झारखंड पुलिस और CID की जांच में यह बात सामने आई कि बेरोजगारी का फायदा उठाकर कई स्थानीय एजेंट युवाओं को नौकरी के बहाने विदेश भेजते हैं। वास्तव में उन्हें कंबोडिया, लाओस और थाईलैंड में बंधक बनाकर साइबर स्कैम सेंटरों में काम कराया जाता है।
गिरफ्तार एजेंट
वसीम खान (गिरिडीह)
यमुना कुमार राणा (कोडरमा)
इनके पास से पासपोर्ट, वीजा, फर्जी अकाउंट्स, बायोडाटा और लेनदेन के दस्तावेज जब्त किए गए। अभी भी कई एजेंट सक्रिय हैं, जिनकी जांच चल रही है।
वियतनाम बना ट्रांजिट प्वाइंट
सीआईडी के अनुसार, भारत से युवाओं को वियतनाम और थाईलैंड के रास्ते कंबोडिया पहुंचाया जाता है। वहां उन्हें बाकायदा ट्रेनिंग दी जाती है कि सोशल मीडिया, फर्जी प्रोफाइल और चैट आधारित इन्वेस्टमेंट फ्रॉड कैसे किया जाए।
जिसके अकाउंट में पैसा जाएगा, वह गिरफ्तार होगा – डीजीपी
डीजीपी अनुराग गुप्ता ने कड़ा संदेश दिया कि अगर साइबर ठगी का पैसा किसी व्यक्ति के खाते में जाता है, तो वह चाहे कहीं भी हो, गिरफ्तार किया जाएगा। अब तक ऐसे कई खाताधारकों को अरेस्ट किया गया है, जिन्होंने साइबर ठगों से पैसे अपने खाते में लिए।
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