रांची : झारखंड की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर देखने को मिला जब भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ताला मरांडी ने शुक्रवार को भोगनाडीह में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम के दौरान झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की सदस्यता ग्रहण की। यह वापसी विशेष इसलिए रही क्योंकि वे करीब 44 साल पहले झामुमो से ही अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत किए थे।
राजनीति का चक्र फिर वहीं आया
ताला मरांडी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1989-90 के आसपास झामुमो (JMM) कार्यकर्ता के रूप में की थी। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस (Congress) का दामन थामा और 1995 एवं 2000 में बोरियो सुरक्षित विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन जीत नहीं सके। बाद में वे भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हुए और दो बार बोरियो से विधायक बने। उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी संभाली। हाल ही में उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में राजमहल सीट से भाजपा के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन झामुमो के विजय हांसदा से 1.50 लाख से अधिक मतों से हार गए।
भाजपा को अलविदा, भावनात्मक पत्र लिख कर दी सूचना
झामुमो में शामिल होने से पहले ताला मरांडी ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को पत्र लिखकर पार्टी से इस्तीफा देने की सूचना दी। उन्होंने लिखा है, “मैं भाजपा का एक समर्पित सदस्य रहा हूं। पार्टी द्वारा दिए गए अवसरों के लिए मैं आभार प्रकट करता हूं। लेकिन वर्तमान परिस्थितियों, व्यक्तिगत कारणों और वैचारिक मतभेदों के चलते मैंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता तथा सभी पदों से त्यागपत्र देने का निर्णय लिया है। यह निर्णय गहन विचार-विमर्श के बाद लिया गया है और इसमें कोई दुर्भावना नहीं है।”
भोगनाडीह में हुई ताला मरांडी की घर वापसी
ताला मरांडी की झामुमो में वापसी का मंच भोगनाडीह बना, जो संथाल विद्रोह के ऐतिहासिक संदर्भों के लिए जाना जाता है। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, जो झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं, ने ताला मरांडी को पार्टी की सदस्यता दिलाई।
मंच पर थे ये थे उपस्थित
झामुमो के केंद्रीय सचिव पंकज मिश्रा ने ताला मरांडी का मंच पर स्वागत किया। इस दौरान मंच पर लिट्टीपाड़ा विधायक हेमलाल मुर्मू, बोरियो विधायक धनंजय सोरेन, गांडेय विधायक कल्पना सोरेन, राजमहल विधायक मो. ताजुद्दीन एवं अन्य उपस्थित थे।
झारखंड की राजनीति में नया अध्याय
करीब 63 वर्षीय ताला मरांडी अब झामुमो की ओर से अपने राजनीतिक करियर का नया अध्याय शुरू करने जा रहे हैं। उनकी वापसी न सिर्फ झामुमो के लिए एक राजनीतिक मजबूती है, बल्कि झारखंड की राजनीति में भावनात्मक और रणनीतिक घटनाक्रम भी बन चुकी है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि ताला मरांडी की 44 साल बाद झामुमो में वापसी न केवल एक अनुभवी नेता की घर वापसी है, बल्कि यह झारखंड की आगामी राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित कर सकती है। आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में यह फेरबदल राजनीतिक पटल पर बड़ा असर डाल सकता है।