Ranchi News : राजधानी रांची की जर्जर सड़कों को लेकर झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश एसएम रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ में गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने स्पष्ट किया कि सड़क मरम्मत के दावों और ज़मीनी हकीकत में भारी अंतर है।
इस मामले में जनहित याचिका अधिवक्ता शुभम कटारुका द्वारा दाखिल की गई थी। उन्होंने अदालत को बताया कि राजधानी की अधिकांश सड़कों की हालत मामूली बारिश में भी इतनी खराब हो जाती है कि वे तालाब में तब्दील हो जाती हैं। सेवा सदन के सामने की सड़क और तपोवन मंदिर के पास की सड़क विशेष रूप से चिंताजनक स्थिति में हैं, जिससे रोजाना नागरिकों को जान-माल का खतरा बना रहता है।
पूर्व में राज्य सरकार ने यह दावा किया था कि सभी सड़कों की मरम्मत पूरी कर ली गई है और इसके समर्थन में तस्वीरें भी अदालत में पेश की गई थीं। लेकिन प्रार्थी पक्ष ने इन तस्वीरों को याचिका में उल्लिखित सड़कों से अलग बताया, जिसके बाद अदालत ने जिला विधिक सेवा प्राधिकार (डालसा) को मौके की जांच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था। डालसा की रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि संबंधित सड़कों की स्थिति अत्यंत खराब है और फौरन उनकी मरम्मत की जरूरत है।
अदालत ने यह भी कहा कि मानसून से पहले ही सड़कों की मरम्मत हो जानी चाहिए थी ताकि नागरिकों को परेशानियों का सामना न करना पड़े। अदालत ने इस बात पर असहमति जताई कि एक ओर सरकार मरम्मत के पूरे होने का दावा कर रही है और दूसरी ओर डालसा की रिपोर्ट इससे बिल्कुल उलट है।
राज्य सरकार की ओर से यह बताया गया कि रांची नगर निगम को मरम्मत कार्य के लिए आवश्यक फंड उपलब्ध करा दिया गया है और निगम जल्द ही काम शुरू करेगा। लेकिन अदालत ने साफ तौर पर निर्देश दिया कि इस कार्य में अब किसी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
अब जबकि राज्य में मानसून सक्रिय है, हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह डालसा की रिपोर्ट पर विस्तृत जवाब दाखिल करे और मरम्मत कार्य में तेज़ी लाए। अदालत ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर इस दिशा में लापरवाही हुई, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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