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Jharkhand School Certification Program : झारखंड में स्कूल सर्टिफिकेशन योजना की शुरुआत, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की ओर बड़ा कदम

मूल्यांकन के दिन कम से कम 75% छात्रों की उपस्थिति अनिवार्य होगी और छात्रों के लिए उचित बैठने की व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी।

by Reeta Rai Sagar
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Ranchi: झारखंड में शिक्षा को केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रखते हुए एक समग्र सोच और दृष्टिकोण के रूप में अपनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के उत्कृष्ट शिक्षा और दूरदर्शी सपनों को साकार करने के लिए झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद (JEPC) द्वारा स्कूल सर्टिफिकेशन योजना की शुरुआत की जा रही है।

स्कूल सर्टिफिकेशन योजना की शुरुआत और उद्देश्य

इस योजना के पहले चरण में राज्य के कुल 750 सरकारी स्कूलों का मूल्यांकन किया जाएगा, जो कि 5 मई 2025 से 8 मई 2025 तक आयोजित किया जाएगा। इस चरण में शामिल किए गए स्कूलों में 80 मुख्यमंत्री उत्कृष्टता स्कूल (सीएम स्कूल आफ एक्सीलेंस), 325 प्रखंड स्तरीय आदर्श विद्यालय तथा 345 पीएम श्री विद्यालय शामिल हैं।

इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य के सरकारी स्कूलों की शिक्षा गुणवत्ता को एक नई दिशा देना है और स्कूलों के बीच स्वस्थ और पारदर्शी प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करना है। स्कूलों का मूल्यांकन साल में दो बार — अप्रैल और अक्टूबर में किया जाएगा। 1000 अंकों के इस मूल्यांकन को दो प्रमुख घटकों पर आधारित किया गया है।

अगले 5 वर्षों में 7000 स्कूलों को मिलेगा प्रमाणन

झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद का लक्ष्य अगले 5 वर्षों में 7000 स्कूलों को प्रमाणित करना है। इस दिशा में जिला शिक्षा पदाधिकारियों और जिला शिक्षा अधीक्षकों को निर्देशित किया गया है कि वे सभी आवश्यक तैयारियों को समय पर सुनिश्चित करें और भाग लेने वाले स्कूलों को तकनीकी सहायता प्रदान करें।

समावेशी और गुणवत्ता युक्त शिक्षा की ओर अग्रसर झारखंड

JEPC ने यह स्पष्ट किया है कि यह योजना राज्य के हर बच्चे को सशक्त, समावेशी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। विद्यालयों के शैक्षणिक माहौल का समग्र मूल्यांकन करके उन्हें बेहतर और प्रेरणादायक शिक्षण वातावरण में परिवर्तित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

तीसरे पक्ष के माध्यम से होगा स्कूलों का मूल्यांकन

विभागीय सचिव उमाशंकर सिंह के अनुसार, स्कूल सर्टिफिकेशन का मूल उद्देश्य विद्यालयों में उत्कृष्ट शैक्षणिक माहौल विकसित करना है, ताकि विद्यार्थियों को बेहतर शैक्षणिक और सह-शैक्षणिक सुविधाएं मिल सकें। पूर्व में भी विभाग ने इसी प्रकार का कार्यक्रम आयोजित किया था, जिसमें स्कूलों को गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज श्रेणी में वर्गीकृत किया गया था।

अब यह प्रक्रिया तीसरे पक्ष द्वारा की जाएगी, जिसमें छात्रों की अकादमिक प्रगति के साथ-साथ विद्यालय प्रबंधन और अन्य कारकों को भी ध्यान में रखा जाएगा। इसके लिए विस्तृत स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) तैयार किए गए हैं।

शिक्षकों और छात्रों की उपस्थिति होगी अनिवार्य

विद्यालय प्रमुखों को यह सुनिश्चित करना होगा कि मूल्यांकन के दिन वे स्वयं विद्यालय में उपस्थित रहें और सभी शिक्षकों एवं कर्मचारियों को उनकी जिम्मेदारियों की जानकारी दें। मूल्यांकन के दिन कम से कम 75% छात्रों की उपस्थिति अनिवार्य होगी और छात्रों के लिए उचित बैठने की व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी।

छात्रों का मूल्यांकन कक्षा के अनुसार

स्कूल सर्टिफिकेशन योजना के तहत छात्रों का मूल्यांकन कक्षा के अनुसार किया जाएगा:
• कक्षा 1 से 8 तक : हिंदी, अंग्रेज़ी और गणित
• कक्षा 9 और 10: भाषा, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान
• कक्षा 11 और 12: विज्ञान, वाणिज्य और कला संकाय
मूल्यांकन OMR शीट पर आधारित होगा, जबकि कक्षा 1 से 3 के छात्र प्रश्नपत्र पर ही उत्तर देंगे।

स्कूल के वातावरण और प्रबंधन को मिलेगा विशेष महत्व

शिक्षा परियोजना निदेशक शशि रंजन के अनुसार, इस योजना में विद्यालय के वातावरण और प्रबंधन को विशेष महत्व दिया गया है। गोल्ड श्रेणी के स्कूल अन्य विद्यालयों के लिए प्रेरणा स्रोत बनेंगे। यह एक निरंतर प्रक्रिया है और इससे स्कूलों के बीच सकारात्मक प्रतिस्पर्धा को बल मिलेगा।

झारखंड की यह नई पहल न केवल शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगी, बल्कि इससे सरकारी स्कूलों की साख और गुणवत्ता में भी अभूतपूर्व सुधार होगा।

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