Ranchi: झारखंड में शराब के शौकीनों की जेब से जबरन वसूली गई रकम अफसरों की जेब भरती रही। राज्य में उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के अफसरों पर यह आरोप अब जांच में साबित होता दिख रहा है। एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) की जांच में खुलासा हुआ है कि सिर्फ बीयर की प्रति केन या बोतल पर 10 रुपये की अतिरिक्त वसूली करके एक साल में 57 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध कमाई की गई। यह काला कारोबार खुदरा दुकानदारों के माध्यम से संचालित हुआ, जहां एमआरपी से अधिक कीमत वसूलने की खुली छूट थी।
सूत्रों की मानें तो यह सारा खेल विभागीय संरक्षण में हुआ, और अब इस घोटाले का केंद्र बने हैं विभाग के सचिव मनोज कुमार। एसीबी ने उनकी भूमिका को लेकर पुख्ता सबूत जुटा लिए हैं और उन्हें पूछताछ के लिए नोटिस भेज दिया गया है।
कैसे हुआ अवैध वसूली का खेल
झारखंड में हर महीने औसतन चार लाख पेटी बीयर की खपत होती है। हर पेटी में 24 केन या बोतल होती है, यानी कुल 4.80 लाख केन/बोतलें। अगर प्रत्येक पर 10 रुपये की अतिरिक्त वसूली हो, तो महीने में 48 लाख रुपये और साल में करीब 57 करोड़ रुपये की अवैध कमाई होती है। इतनी बड़ी राशि खुदरा दुकानदारों द्वारा वसूली गई और फिर तय सिंडिकेट तक पहुंचाई गई। एसीबी की रिपोर्ट के अनुसार, यह पैसा अफसरों और उनके करीबियों तक पहुंचाया जाता रहा। आश्चर्य की बात यह है कि कार्रवाई और जांच के बावजूद आज भी एमआरपी से ज्यादा वसूली जारी है।
शराब की अन्य बोतलों पर भी वसूली
यह अवैध वसूली सिर्फ बीयर तक सीमित नहीं रही। शराब की अन्य कैटेगरी—क्वार्टर, हाफ और फुल बोतलों पर भी भारी अतिरिक्त राशि वसूली गई। एसीबी के मुताबिक:* क्वार्टर बोतल पर 10 रुपये* हाफ बोतल पर 20 रुपये* फुल बोतल पर 50 रुपये* प्रीमियम ब्रांड की फुल बोतल पर 100 से 150 रुपये तक की वसूली की गई। झारखंड में डीलक्स प्रीमियम ब्रांड की हर महीने करीब डेढ़ से दो लाख पेटी की खपत होती है, जिससे यह अवैध वसूली करोड़ों में पहुंच गई।
सचिव को घेरते सवाल
उत्पाद सचिव मनोज कुमार पर एसीबी की जांच का शिकंजा कसता जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, घोटाले में उनके करीबी लोग सीधे शामिल थे जो अवैध पैसे की वसूली कर उन्हें पहुंचाते थे। एसीबी का मानना है कि इतने बड़े पैमाने पर चल रही इस वसूली से सचिव अनजान थे, यह मानना मुश्किल है।इससे पहले भी मनोज कुमार के खिलाफ फर्जी बैंक गारंटी, अनधिकृत भुगतान और एक विशेष बीयर कंपनी को लाभ पहुंचाने जैसे गंभीर आरोप सामने आ चुके हैं।
राज्य की साख को झटका
इस घोटाले ने न सिर्फ शराब खरीदने वाले उपभोक्ताओं की जेब पर चोट पहुंचाई बल्कि राज्य सरकार की साख को भी बट्टा लगाया है। जहां यह पैसा सरकारी खजाने में जाना चाहिए था, वह अफसरों की जेब में गया।एसीबी की कार्रवाई के बाद उम्मीद की जा रही है कि दोषियों पर कड़ी सजा होगी और भविष्य में इस तरह की अवैध वसूली पर रोक लगेगी।