Jharkhand Wine Shops : झारखंड में 1 जुलाई 2025 यानि मंगलवार से लागू होने वाली नई शराब नीति को लेकर उपभोक्ताओं और व्यापारियों के बीच भ्रम की स्थिति बन गई थी। इसे दूर करते हुए उत्पाद विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य की सभी शराब दुकानें एक साथ बंद नहीं होंगी। केवल वे दुकानें अस्थायी रूप से बंद रहेंगी, जहां हैंडओवर-टेकओवर की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। बाकी सभी दुकानें पूर्ववत तरीके से खुली रहेंगी और शराब की बिक्री सामान्य रूप से जारी रहेगी। जानकारी के अनुसार ऐसी शराब की दुकानें जहां हैंडओवर-टेकओवर की प्रक्रिया चल रही है, उसकी संख्या 300 से अधिक है। दरअसल, कुछ लोगों ने सभी शराब दुकानों को बंद करने की बात फैला दी थी। इससे प्रदेश में शराब दुकानों को लेकर भ्रम पैदा हो गया था। इसी स्थिति को साफ करने के लिए उत्पाद विभाग ने बयान जारी किया है।
Jharkhand Wine Shops : पांच जुलाई तक पूरी होगी नई व्यवस्था
झारखंड स्टेट बेवरेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (JSBCL) के माध्यम से पांच जुलाई तक राज्य भर में शराब दुकानों की संचालन प्रणाली को पूरी तरह से नई व्यवस्था में परिवर्तित करने का लक्ष्य रखा गया है। जिन दुकानों में हैंडओवर-टेकओवर की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी, उनका संचालन JSBCL के अधीन शुरू कर दिया जाएगा। इस बदलाव के बाद इन दुकानों में काम करने वाले कर्मचारी JSBCL के कर्मी माने जाएंगे। उनका वेतन और मानदेय अब प्लेसमेंट एजेंसी के बजाय सीधे JSBCL द्वारा दिया जाएगा। सभी जिलों में शराब की बंद दुकानों की हैंडओवर-टेकओवर की प्रक्रिया जोर शोर से चलाई जा रही है। इसे हर हाल में पांच जुलाई तक पूरा कर लेना है। इसके बाद इन दुकानों को भी खोल दिया जाएगा।
Jharkhand Wine Shops : जिला स्तर पर तय होगा शेड्यूल
राज्य के सभी जिलों में खुदरा शराब दुकानों के हैंडओवर-टेकओवर के लिए एक शेड्यूल निर्धारित किया जाएगा। इस प्रक्रिया के तहत, जैसे ही किसी दुकान का टेकओवर शुरू होगा, उस दुकान से शराब की बिक्री बंद कर दी जाएगी। जब तक प्रक्रिया पूरी नहीं होती, वह दुकान बंद रहेगी। मगर, जिस दुकान में यह प्रक्रिया पूरी कर ली गई है, वह दुकानें पूर्ववत खुली हुई हैं।
नया मॉडल, नई जिम्मेदारी
नई शराब नीति के तहत सरकार का उद्देश्य वितरण व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और केंद्रीयकृत बनाना है। इससे न केवल उत्पाद विभाग की निगरानी बेहतर होगी, बल्कि कर्मचारियों को भी नियमित वेतन भुगतान और अन्य सुविधाएं मिलेंगी। यह कदम राज्य सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण को मजबूत करने की दिशा में एक अहम पहल के रूप में देखा जा रहा है।