रांची : झारखंड के प्रशांत कुमार सिंह को यूके की कंजरवेटिव पार्टी ने 2026 चुनावों के लिए काउंसलर पद का उम्मीदवार घोषित किया है। यह झारखंड और भारतीय समुदाय के लिए एक गर्व का क्षण है। प्रशांत की जीवन कहानी रैग्स टू रिचेस की मिसाल है, जिसमें उन्होंने कड़ी मेहनत और समर्पण से सफलता की ऊंचाइयों को छुआ है।
झारखंड से लंदन तक का सफर
प्रशांत ने अपनी स्कूली शिक्षा झारखंड के होली क्रॉस स्कूल घाटोटांड़ (वेस्ट बोकारो) से पूरी की। उन्होंने स्कूल प्रेसिडेंट का पद छोड़कर सोशल सर्विस सेल का अध्यक्ष बनने का निर्णय लिया, जिससे 400 से अधिक आदिवासी छात्रों को शिक्षा और सहायता मिली। प्रशांत का परिवार टाटा स्टील से जुड़ा रहा है। उनके परदादा से लेकर पिता तक टाटा स्टील में कार्यरत रहे। प्रशांत ने भी टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड में डिजिटल और डेटा प्रमुख के तौर पर कार्य किया।
संघ परिवार से जुड़ाव
प्रशांत बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े रहे। बैंगलुरु में आईटी मिलन के सक्रिय सदस्य रहते हुए उन्होंने बीएल संतोष जैसे मार्गदर्शक का सानिध्य पाया। हालांकि प्रचारक बनने की अनुमति उन्हें नहीं मिली, लेकिन उन्होंने समाज सेवा में अपना योगदान जारी रखा।
डिजिटल युग के विजेता
प्रशांत ने डिजिटल फॉर ह्यूमैनिटी सीआईसी नामक कंपनी की स्थापना की, जो उद्यमियों और युवाओं को अपने व्यवसायों को बढ़ाने में मदद करती है। 2014 में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव अभियान का समर्थन किया और वडोदरा में भाजपा के लिए छह महीने काम किया।
ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी के झारखंड अध्यक्ष
वर्तमान में प्रशांत यूके में ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी (OFBJP) के झारखंड अध्यक्ष हैं। वे भारत, यूके और यूरोप के उद्यमियों को जोड़ने का कार्य कर रहे हैं। उनका फोकस स्टार्टअप इंडिया मूवमेंट को मजबूत बनाने पर भी है।\
शिक्षा के क्षेत्र में योगदान
प्रशांत ने छात्रों को विदेश में पढ़ाई में मदद करने के लिए द प्रो-एजुकेटर प्लेटफॉर्म की स्थापना की। उनकी कंपनी 31 देशों की 1700 से अधिक यूनिवर्सिटीज से जुड़ी है, जिससे हजारों भारतीय छात्रों को उनके सपने पूरे करने में मदद मिली।
भारतीय समुदाय के लिए प्रेरणा
प्रशांत का कहना है कि राम वैद्य उनके जीवन के सबसे बड़े प्रेरणास्त्रोत हैं। उनके मार्गदर्शन में प्रशांत भारतीयों को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए कार्यरत हैं।