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खूंटी में झामुमो को बदलना पड़ा उम्मीदवार, जानें क्या है कारण

by Anand Mishra
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जमशेदपुर : झारखंड के खूंटी विधानसभा सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) द्वारा स्नेह लता कंडुलना को उम्मीदवार बनाने का फैसला उलटा पड़ गया। पार्टी की तीसरी सूची में जैसे ही स्नेह लता का नाम सामने आया, आदिवासी संगठनों ने तीव्र विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। यह विवाद इस हद तक बढ़ा कि पार्टी नेतृत्व को अंततः अपना उम्मीदवार बदलना पड़ा।

विवाद की जड़

स्नेह लता कंडुलना, जो खुद एक आदिवासी हैं, ने एक गैर-आदिवासी डॉक्टर अशोक कुमार साहा से विवाह किया है। आदिवासी संगठनों का कहना है कि उनके गैर-आदिवासी पति के कारण खूंटी सीट पर उनकी उम्मीदवारी आदिवासी हितों के विपरीत है। उनका तर्क है कि यह सीट एक आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र की पहचान का प्रतीक है, और ऐसे में गैर-आदिवासी परिवार के किसी सदस्य का उम्मीदवार बनना परंपराओं और राजनीतिक संतुलन के विरुद्ध है। संगठनों का आरोप है कि स्नेह लता की उम्मीदवारी से आदिवासी समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी, और इससे झामुमो के वोट बैंक पर असर पड़ेगा। जेएमएम के स्थानीय नेताओं ने आदिवासी संगठनों को शांत कराने के कई प्रयास किए, लेकिन प्रदर्शनों का सिलसिला बढ़ता गया और खूंटी में हालात संवेदनशील हो गए।

जिला अध्यक्ष पर आरोप

खूंटी में जेएमएम के जिला अध्यक्ष जुबेर अहमद पर भी आदिवासी संगठनों ने गंभीर आरोप लगाए। आदिवासी नेताओं का कहना है कि जुबेर अहमद ने स्नेह लता के पति के साथ कथित सांठगांठ कर उन्हें टिकट दिलाने में मदद की। इस विवाद का मुख्य कारण यह भी बताया जा रहा है कि झामुमो के संभावित उम्मीदवारों में पहले करिया मुंडा के बेटे अमरनाथ मुंडा का नाम चर्चा में था। आदिवासी समुदाय में अमरनाथ मुंडा की छवि एक मजबूत और विश्वसनीय नेता के रूप में है, जो खूंटी के विकास के लिए भी बेहतर माने जाते हैं। लेकिन अंतिम क्षण में अमरनाथ मुंडा का नाम सूची से हटाकर स्नेह लता कंडुलना को उम्मीदवार घोषित कर दिया गया, जिससे आदिवासी समुदाय में गहरी नाराजगी फैल गई।

दिशोम गुरु को करना पड़ा हस्तक्षेप

यह मामला जैसे ही बढ़ा, खूंटी में आदिवासी संगठनों के गुस्से ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का ध्यान खींचा। आदिवासी संगठन अपना आक्रोश जाहिर करने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और झामुमो के संरक्षक शिबू सोरेन तक पहुंच गए। पार्टी के संस्थापक शिबू सोरेन ने हस्तक्षेप किया और हेमंत सोरेन से बात की। इसके बाद, झामुमो नेतृत्व ने स्थिति का गंभीरता से आकलन किया और चुनाव समिति को खूंटी से उम्मीदवार बदलने का निर्देश दिया। नतीजतन, झामुमो ने अपनी चौथी सूची में स्नेह लता कंडुलना की जगह राम सूर्य मुंडा को खूंटी सीट से पार्टी का उम्मीदवार घोषित कर दिया।

राम सूर्य मुंडा नये उम्मीदवार


नए उम्मीदवार राम सूर्य मुंडा पहले झारखंड पार्टी से जुड़े थे और 2019 के विधानसभा चुनाव में भी इसी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। उस चुनाव में उन्हें 1385 वोट मिले थे। बाद में उन्होंने झामुमो की सदस्यता ली और अब उन्हें खूंटी से पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया है।
हालांकि, खूंटी के कई स्थानीय नेताओं और निवासियों का मानना है कि पार्टी ने यदि अमरनाथ मुंडा को उम्मीदवार बनाया होता, तो यह आदिवासी समुदाय के हितों का बेहतर प्रतिनिधित्व होता और पार्टी के लिए भी फायदेमंद रहता। अमरनाथ मुंडा, जो करिया मुंडा के बेटे हैं, खूंटी में एक लोकप्रिय नेता माने जाते हैं और उनके पास क्षेत्र के लोगों का समर्थन भी है। लेकिन झामुमो ने अपनी किसी आंतरिक वजह से उन्हें टिकट नहीं दिया।

क्या झामुमो का यह कदम राजनीतिक रूप से सही साबित होगा?

झामुमो द्वारा स्नेह लता कंडुलना की जगह राम सूर्य मुंडा को उम्मीदवार बनाना पार्टी के लिए आगामी चुनाव में कितना फायदेमंद साबित होगा, यह देखने वाली बात है। खूंटी में आदिवासी संगठनों का यह विरोध दर्शाता है कि आदिवासी राजनीति में किसी बाहरी तत्व का प्रवेश आसान नहीं है। वहीं, अब पार्टी द्वारा लिया गया यह निर्णय उनकी उम्मीदवारी के भविष्य पर रोशनी डालेगा।

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