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बड़े मामलों में सुनवाई नहीं कर सकेंगे जस्टिस शेखर, VHP के कार्यक्रम में विवादित बयान के बाद से चर्चा में

कार्यक्रम में पहुंचे जस्टिस शेखर ने कहा कि हिंदू, मुसलमानों से ये उम्मीद नहीं करते कि वो उनकी संस्कृति का पालन करें, बल्कि वो सिर्फ़ इतना चाहते हैं उसका अनादर ना करें।

by Reeta Rai Sagar
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सेंट्रल डेस्क। विश्व हिंदू परिषद् के कार्यक्रम में शरीक होने के बाद से इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही है। भारत बहुसंख्यकों के हिसाब से चलेगा, जैसे बयान देकर बुरे फंसे जस्टिस शेखर अब बड़े मामलों की सुनवाई नहीं कर सकेंगे। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनके कामकाज में बदलाव किया है।

कठमुल्ला जैसे शब्दों के इस्तेमाल से पहले तक वो बलात्कार जैसे संवेदनशील और कई बड़े मामलों की सुनवाई करते थे, लेकिन अब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नया रोस्टर जारी किया है, जो कि 16 दिसंबर से लागू होने वाला है। इसमें जस्टिस शेखर के कामकाज को सीमित कर दिया गया है।

2010 के पहले दायर की गई अपील की करेंगे सुनवाई
जस्टिस शेखर यादव अब केवल निचली अदालत के फैसलों के खिलाफ दायर की गई प्रथम अपीलों की ही सुनवाई कर सकेंगे। इनमें भी वे सशर्त उन्हीं अपील की सुनवाई करेंगे जो 2010 के पहले दायर की गई हो। जस्टिस शेखर पर यह फैसला तब सुनाया गया, जब सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट से जस्टिस यादव के बयान के बारे में विस्तार से जानकारी मांगी है।

इतना ही नहीं इस बयानबाजी के चक्कर में जस्टिस शेखर पर विपक्षी दलों ने महाभियोग प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। 11 दिसंबर तक महाभियोग की नोटिस के लिए 38 हस्ताक्षर इकट्ठा कर लिए गए थे। संसद के नियमों के अनुसार महाभियोग की नोटिस के लिए कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर की जरूरत होती है।

क्या कहा था जस्टिस शेखर कुमार यादव
इस कार्यक्रम में पहुंचे जस्टिस शेखर ने कहा कि हिंदू, मुसलमानों से ये उम्मीद नहीं करते कि वो उनकी संस्कृति का पालन करें, बल्कि वो सिर्फ़ इतना चाहते हैं उसका अनादर ना करें। उन्होंने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बात करते हुए कहा कि ये भारत है और ये अपने बहुमत की इच्छा के अनुसार चलेगा। विश्व हिंदू परिषद् के इस कार्यक्रम में कई वकील और परिषद् के कार्यकर्ता भी शामिल हुए।

कांर्यक्रम को संबोधित करते हुए जस्टिस शेखर ने कहा कि हम अपने बच्चों को जन्म से ही सहनशीलता और दया सिखाते हैं। हम उन्हें जानवरों और प्रकृति से प्यार करना सिखाते हैं। दूसरों के दर्द से हमें दुख होता है। लेकिन आप ऐसा महसूस नहीं करते, क्यों… जब आप उनके सामने जानवरों को मारेंगे, तो आपका बच्चा सहनशीलता और दया कैसे सीखेगा?

इस दौरान उन्होंने मेजोरिटी पर भी बात की और कहा कि मुझे ये कहते हुए बिल्कुल भी हिचकिचाहट नहीं है कि यह देश बहुमत के हिसाब से चलेगा।

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